Advertisement

भारत का इतिहास भाईचारे का, 'मॉब लिंचिंग' शब्द हमारा नहीं: मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मंगलवार को संघ के स्थापना दिवस समारोह के मौके पर कहा कि भारत में समाज की समता व समरसता की स्थिति जैसी चाहिए, वैसी अभी नहीं है. हिंसा की घटनाएं न हों, इसलिए स्वयंसेवक प्रयासरत रहते हैं.

मोहन भागवत (फोटो- IANS) मोहन भागवत (फोटो- IANS)
विद्या
  • नई दिल्ली,
  • 08 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 11:30 PM IST

  • RSS प्रमुख मोहन भागवत ने लिंचिंग पर की खुलकर बात
  • कहा- लिंचिंग से हिंदू समाज को बदनाम करने की साजिश

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मंगलवार को संघ के स्थापना दिवस समारोह के मौके पर कहा कि भारत में समाज की समता व समरसता की स्थिति जैसी चाहिए, वैसी अभी नहीं है. हिंसा की घटनाएं न हों, इसलिए स्वयंसेवक प्रयासरत रहते हैं.

Advertisement

उन्होंने कहा कि जो परंपरा भारत की नहीं है ऐसी परंपरा और घटनाओं को दशार्ने वाले 'लिंचिंग' जैसे शब्द देकर सारे देश को व हिंदू समाज को सर्वत्र बदनाम करने का प्रयास होता है. उन्होंने कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों को आपस में सद्भावना, संवाद तथा सहयोग बढ़ाने के लिए प्रयासरत होना चाहिए. समाज के सभी वर्गों का सद्भाव, समरसता, सहयोग तथा कानून संविधान की मर्यादा में ही अपने मतों की अभिव्यक्ति ही आज की स्थिति में नितांत आवश्यक है.

लिंचिंग पर बोलते हुए उन्होंने कहा, 'आरएसएस का नाम भी इस तरह की गतिविधियों में खींच लिया गया था. संघ से कोई भी इस तरह की घटनाओं में नहीं पड़ता. ऐसी गतिविधियां होती हैं तो इसे रोकने की कोशिश करेंगे. अगर कोई गलती से इसमें पड़ता है तो संघ का कोई व्यक्ति ऐसे व्यक्ति की रक्षा नहीं करेगा. साथ ही आरोपी को कानूनी तरीके से खुद को निर्दोष साबित करने के लिए कहा जाएगा.' उन्होंने कहा कि हिंदू और संघ को इस तरह की गतिविधियों से जोड़ना एक साजिश थी.

Advertisement

लिंचिंग धर्म से संबंधित नहीं

लिंचिंग शब्द के बारे में बताते हुए कहा कि इससे जुड़ी पुरानी कहानियां एक पवित्र पुस्तक से संबंधित हैं जो इस देश के बाहर तैयार की गई थीं. वो यहां बाइबल की बात कर रहे थे. भागवत ने जोर देते हुए कहा, 'लिंचिंग का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है.'

उन्होंने कहा कि एक समूह एक महिला को पत्थरों से पीट रहा था, तभी ईसा मसीह प्रकट हुए और कहा कि जिन्होंने अपने जीवन में कुछ भी गलत नहीं किया है उन्हें ही पहले पत्थर उठाना चाहिए. उनकी इस बात पर लोगों को अपनी गलती याद आ गई. इसलिए यह शब्द घटना और स्थान से संबंधित है. भारत में ऐसा कुछ नहीं हुआ. भारत में हुईं लिंचिंग की घटनाओं पर उन्होंने कहा कि इन घटनाओं के आरोपियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए जो हर कोई चाहता है.

भारत की संस्कृति एक साथ मिलकर रहने की

भागवत ने कहा कि भारत की संस्कृति एक साथ मिलकर रहने और भाईचारे के जानी जाती रही है. हमारी प्राचीन कहानियों में कहा गया है कि जब दो समुदायों ने पानी के लिए लड़ाई लड़ी थी, तब सौहार्दपूर्ण समाधान प्रदान किए गए थे और मुद्दों को हल किया गया था.

Advertisement

मोहन भागवत ने जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर सरकार की तारीफ भी की. उन्होंने कहा, 'देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित शासक दल तथा इस जन भावना का संसद में समर्थन करने वाले अन्य दल भी अभिनंदन के पात्र हैं. जन अपेक्षाओं को प्रत्यक्ष में साकार कर, जन भावनाओं का सम्मान करते हुए देशहित में उनकी इच्छाएं पूर्ण करने का साहस दोबारा चुने हुए शासन में है. धारा 370 को अप्रभावी बनाने के सरकार के काम से यह बात सिद्ध हुई है.'

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement