
उरी मामले की जांच कर रही नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी (एनआईए) को पता चला है कि आतंकवादियों ने सैनिकों को रसोई और स्टोर रूम में बंद करके आग लगा दी थी. जिस तरह आतंकवादियों ने हमला किया, उससे यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि उन्हें अपने टार्गेट के बारे में अच्छी तरह मालूम था.
सबसे अधिक सैनिकों की मौतें रसोई और स्टोर रूम में ही हुईं. एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, आतंकवादियों ने दो इमारतों को बाहर से बंद कर दिया था और इसके बाद आग लगा दी. एनआईए सूत्रों के मुताबिक, आतंकवादियों ने अपने टार्गेट को समझने के लिए कम से कम एक दिन का वक्त आर्मी ब्रिगेड हेडक्वाटर्स कॉम्पलेक्स के पास पहाड़ों में बिताया था. इस बीच, मंगलवार को एनआईए प्रमुख शरद कुमार घटनास्थल पर पहुंचे और जांच से जुड़ी जानकारियां हासिल की.
सबसे पहले पहरेदार को मारा
चार आतंकवादियों की टीम ने सबसे पहले एक पहरेदार को मारा. इसके बाद तीन आतंकवादी उस टेंट और बिल्डिंग की तरफ गए जहां सैनिक रह रहे थे. लेकिन एक आतंकवादी ऑफिसर्स मेस की तरफ चला गया. जांच कर रहे सूत्रों के मुताबिक, आतंकवादी पाकिस्तान से आए थे या नहीं, इस बात का पता उनके पास से मिले डैमेज्ड जीपीएस से ही चलेगा.
नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के इंजीनियर्स को एक जीपीएस से डाटा रिकॉवर करने का टास्क दिया गया है. ऐसा माना जा रहा है कि टेररिस्ट इसी जीपीएस के जरिए हाजी पीर पास को पार करके उरी पहुंचे. जबकि उनके पास से मिला दूसरा जीपीएस सेट काफी अधिक डैमेज हो चुका है. एनआईए ने आतंकवादियों को दफनाने से पहले डीएनए सैंपल्स और फिंगरप्रिंट्स भी ले लिए हैं. भविष्य में जरूरत पड़ने पर इन्हें सबूत के तौर पर पेश किया जाएगा.