
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने लेफ्टिनेंट उमर फैयाज की हत्या के आरोप में मास्टरमाइंड समेत दो साथियों को गिरफ्तार किया है. इन पर लेफ्टिनेंट उमर फैयाज को शादी से अगवा कर हत्या का आरोप है.
पकड़ा गया मास्टरमाइंड मोहम्मद अब्बास भट उर्फ अली पर लेफ्टिनेंट उमर फैयाज की हत्या की साजिश रचने को लेकर खुलासा हुआ है. 22 साल का मोहम्मद अब्बास भट उर्फ अली शोपियां के चक मैत्रीबग का रहने वाला है. 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़ा था. लेकिन इसका अपराधिक रिकॉर्ड जब शुरू हुआ, जब रणबीर दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या के लिए करावास कटनी पड़ी थी. अप्रैल 2016 में जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गए.
अन्य दो आरोपी में से 27 साल के गया-उल-इस्लाम 2016 से आतंकवादी गतिविधि में शामिल हैं. और दूसरा 19 साल का इशफाक आह ठोकर अलियास अब्र (Ishfaq Ah Thoker alias Abra) जो 17 साल (सितंबर 2015) की उम्र से ही आतंकवादी गतिविधि में शामिल हैं.
शोपियां के एसएसपी श्री राम ने 'इंडिया टुडे' को बताया कि तीनों अपराधी हत्या और डकैती के मामलों में शामिल रहे हैं. तीनों को इस क्षेत्र में सक्रिय किया गया. पहली नज़र लेफ्टिनेंट उमर फैयाज की हत्या में इनका हाथ लगता है. लेकिन हम जांच के बाद ही कोई ठोस नतीजे पर पहुंच सकते हैं. हालांकि सेना के सूत्रों ने कहा उन्हें ऐसा संदेह था कि लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी भी उन 6 लोगों के साथ हो सकते हैं, जिन्होंने उमर फैयाज की हत्या की थी. उनमें से दो, उस घर में प्रवेश किया था, जहां शादी हुई थी. और बाकी चार लोग ने बाद में पीछा किया. सेना ने बताया हम जल्दी हरकत में इस लिए कर पाए क्योंकि उनके परिवार और दोस्तों ने घटना की रिपोर्ट करने में देरी की थी.
सूत्रों का कहना है उमर फैयास के चचेरे भाई शादी भी रद्द कर दी गई है. पुलिस परिवार और मित्र से उन छह लोगों का जानकारी जुटाने की कोशिश की है. सूत्रों का कहना है स्थानीय लोगों भी सुरक्षा बलों का सहयोग कर रहे हैं.
आपको बता दें सुरसोना गांव के रहने वाले 22 वर्षीय लेफ्टिनेंट उमर फैयाज यहां से करीब 74 किलोमीटर दूर बाटपुरा में अपने मामा की लड़की की शादी में शामिल होने गए थे. बीती रात करीब दस बजे आतंकवादियों ने उनका अपहरण कर लिया. परिवार के सदस्यों ने निहत्थे सैन्य अधिकारी के अपहरण के बारे में पुलिस या सेना को सूचित नहीं किया, क्योंकि आतंकवादियों ने उन्हें ऐसा करने की धमकी दी थी.