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AMU में आतंकी मन्नान वानी के समर्थन में कार्यक्रम की कोशिश, 3 छात्र सस्पेंड

सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जुटाई जानकारी के अनुसार वानी शुरू से एक प्रतिभाशाली छात्र था, उसने मानसबल स्थित एक प्रतिष्ठित सैनिक स्कूल से 11वीं और 12वीं की पढ़ाई की थी.

आतंकी मन्नान आतंकी मन्नान
अजीत तिवारी/अरविंद ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 7:57 AM IST

जम्मू-कश्मीर में हिजबुल के आतंकी मन्नान बशीर वानी के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले जम्मू-कश्मीर के छात्रों ने वानी के समर्थन में कार्यक्रम करने की कोशिश की. इसके बाद यूनिवर्सिटी में हड़कंप मच गया. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने और यूनिवर्सिटी के बाकी छात्रों ने वानी समर्थक छात्रों को रोकने की कोशिश की. इस दौरान काफी बहस हुई.

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हालांकि, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 3 छात्रों को सस्पेंड कर दिया है. यूनिवर्सिटी पीआरओ ने कहा कि यूनिवर्सिटी कैंपस में देश की सुरक्षा के मसले पर किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा और यूनिवर्सिटी ऐसे लोगों से कड़ाई से निपटेगा. आज हुए हंगामे की अंदरुनी जांच कराई जा रही है.

मन्नान बशीर वानी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का पीएचडी का स्टूडेंट था, यूनिवर्सिटी से गायब होने के बाद सोशल मीडिया में उसकी हांथ में बंदूक लिए फोटो वायरल हुई थी, जिसके बाद यूनिवर्सिटी ने वानी को निकाल दिया था.

सैनिक स्कूल से हिजबुल मुजाहिद्दीन का सफर

स्कूल में एक उत्कृष्ट छात्र से लेकर कश्मीर का मोस्ट वांटेड आतंकवादी बना मन्नान बशीर वानी उन शिक्षित युवाओं में शामिल था जो 2016 के बाद घाटी में आतंकवादी संगठनों में शामिल हुआ. वानी को सुरक्षाबलों ने गुरुवार को एक मुठभेड़ में ढेर कर दिया.

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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में पीएचडी का छात्र वानी इस साल जनवरी में आतंकवादी संगठन में शामिल हुआ था. सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जुटाई जानकारी के अनुसार वानी शुरू से एक प्रतिभाशाली छात्र था, उसने मानसबल स्थित एक प्रतिष्ठित सैनिक स्कूल से 11वीं और 12वीं की पढ़ाई की थी.

वानी को पढ़ाई के दौरान कई पुरस्कार भी मिले. घाटी में वर्ष 2010 में हुए विरोध प्रदर्शनों और हिजबुल मुजाहिद्दीन के पोस्टर बॉय बुरहान वानी की मौत के बाद वर्ष 2016 में हुए व्यापक प्रदर्शन से उसका कोई नाता नहीं था. उसके आतंकी संगठन में शामिल होने की बात तब सामने आई जब बाबा गुलाम शाह बादशाह विश्वविद्यालय के बी.टेक के छात्र ईसा फजली जैसे दूसरे युवकों के आतंकवादी समूह में शामिल होने का पता चला.

वानी के बाद, तहरीक-ए-हुर्रियत के अध्यक्ष मोहम्मद अशरफ सेहराई का बेटा एवं एमबीए का छात्र जुनैद अशरफ सहराई भी आतंकवादी समूह में शामिल होने के लिए गायब हो गया था. वानी का अपने पिता बशीर अहमद वानी से भी बहुत लगाव था, जो कि कॉलेज लेक्चरर हैं. संभ्रांत परिवार से आने वाला वानी वर्ष 2011 से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) से पढ़ाई कर रहा था जहां उसने एमफिल की पढ़ाई पूरी करने के बाद भूविज्ञान से पीएचडी में प्रवेश लिया.

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आज भी कॉलेज की वेबसाइट पर उसे मिले पुरस्कारों के साथ नाम दर्ज है. वानी के आतंकवादी बनने का सफर वर्ष 2017 के अंत में शुरू हुआ जब वह दक्षिण कश्मीर के कुछ छात्रों के संपर्क में आया. इस साल तीन जनवरी को उसने आतंकवादी संगठन का हिस्सा बनने के लिए अलीगढ़ छोड़ दिया था.

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