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गणतंत्र दिवस के इतिहास में पहली बार सीमा सुरक्षा बल का ऊंट दस्ता इस साल की परेड में हिस्सा नहीं लेगा. रक्षा मंत्रालय में सूत्रों के मुताबिक, यह निर्णय परेड की अवधि को 120 मिनट से घटा कर 92 मिनट यानी लगभग डेढ घंटे करना है.
यही नहीं, इस बार भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल और सशस्त्र सीमा बल के भी मार्चिंग दस्ते परेड का हिस्सा नहीं होंगे. इसके साथ ही स्कूली छात्र और झांकियां भी परेड का हिस्सा न होकर लाल किले पर एक विशेष तीन दिवसीय रंगारंग कार्यक्रम का हिस्सा होंगी. हर वर्ष 54 सदस्यों का ऊंट दस्ता और 36 ऊटों पर सवार बीएसएफ का बैंड दस्ता भी परेड का हिस्सा होते थे. इन्हें रेगिस्तान का जहाज दस्ता भी कहा जाता है.
राजपथ पर एक साथ होंगी मिसाइलें
समय कम करने के लिए पहली बार कंपोजिट दस्ते परेड का भाग बनेंगे यानी टैंक और बख्तरबंद गाड़िया (बीएमपी) के दस्ते एक साथ होंगे और अलग-अलग मिसाइलें भी एक साथ ही राजपथ पर होंगी.
पहली बार ये बदलाव भी दिखेगा
इस साल पहली बार फ्रांस की सेना का एक दस्ता और एक फ्रांसीसी सेना का बैंड भी परेड में भाग लेंगे. सीमा सुरक्षा बल के ऊंटों के स्थान पर सेना के टोही कुत्ते परेड में पहली बार शामिल होंगे. 29 जनवरी को पहली बार बीटिंग रिट्रीट में भी तबला और सितार को भारतीय वाद्य यंत्रों के रूप में परेड का हिस्सा बनाया जा रहा है. इससे पहले ज्यादातर धुनें ब्रिटिश आर्मी की ही चली आ रही थीं.