
उत्तराखंड में 46 साल में बादल फटने की 30 घटनाएं हो चुकी हैं. जिससे भारी तबाही हुई. हालांकि केंद्र सरकार के पास नुकसान के आंकड़े नहीं है. अब सरकार बादल फटने की पूर्व सूचना के लिए बड़ी योजना पर काम कर रही है. जिससे समय रहते उचित प्रबंध कर जान-माल का नुकसान रोका जा सके. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की ओर से पहाड़ों पर 10 एक्स-बैंड रडार स्थापित करने की तैयारी है. लोकसभा में गढ़वाल सांसद और बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव तीरथ सिंह रावत के सवाल पर केंद्र सरकार ने यह जानकारी दी है.
गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने बीते 19 जुलाई को पृथ्वी विज्ञान मंत्री से पूछा था कि क्या उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों, विशेषकर गढ़वाल में बादल फटने की घटनाएं बार-बार हो रही हैं. अगर हां तो ब्यौरा क्या है. उन्होंने यह भी पूछा था कि क्या सरकार के पास ऐसी घटनाओं का अनुमान लगाने के लिए कोई तकनीक है या विकसित करने की योजना है, जिससे आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके.
विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने जवाब देते हुए कहा कि उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं अक्सर हो रही हैं. अधिकतर हिमालय के दक्षिणी हिस्से के आसपास बादल फटने की घटनाओं की रिपोर्ट मिलती है. बादल फटने की घटनाएं अमूमन 20-30 किमी के एक छोटे से भौगोलिक क्षेत्र में एक हजार मीटर से 2500 मीटर की ऊंचाई के बीच घटित होती हैं, जहां एक घंटे में 100 मिमी से अधिक बारिश होती है.
गढ़वाल के अनेक हिस्सों में बादल फटने की घटनाएं सामने आईं हैं. बादल फटने की ताजा घटना चमोली जिले में गैरसेन के लामबगढ़ गांव में 2 जून 2019 को और दूसरी घटना 4 जुलाई 2019 को गढ़वाल क्षेत्र में रुद्रप्रयाग जिले के अगस्तमुनि इलाके के चार्नसिग गांव में हुई.
मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि हिमालय में बादल फटने की घटनाएं अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्र मे होती हैं. जिसके कारण उनका रिकॉर्ड प्राप्त होना कठिन होता है. मीडिया स्रोतों से हिमालय के दक्षिणी रिम में 1970-2016 की अवधि के दौरान, बादल फटने की 30 घटनाएं हुई हैं. उनमें से 17 घटनाएं उत्तराखंड के गढ़वाल में हुई हैं. सरकार ने बताया कि बादल फटने की घटनाओं के कारण बहुत नुकसान होता है. फिर भी ऐसे नुकसान का विवरण भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के पास उपलब्ध नहीं है.
मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि मौसम की पूर्वानुमान प्रणाली में सुधार होने से, जान-माल के नुकसान में कमी आने का अनुमान है. आईएमडी की अगले पांच दिनों के लिए पूर्वानुमान और चेतावनी के साथ गढ़वाल में पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र के लिए पर्वतीय मौसम समाचार जारी कर रहा है. इसके साथ, जरूरी होने पर, मौसम विज्ञान केंद्र, देहरादून की ओर से इस क्षेत्र के लिए अनुमानित खराब मौसम की तीव्रता के साथ तूफान की तात्कालिक चेतावनियां जारी की जाती हैं.
उन्होंने बताया कि बादल फटने और तात्कालिक जानकारी का पता लगाने में मदद के लिए आईएमडी पश्चिमोत्तर के हिमालयी राज्यों जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल में 10 एक्स-बैंड रडार स्थापित करेगा.