
पश्चिम बंगाल की सियासत में लाल ब्रिगेड से मुकाबला करने के लिए ममता बनर्जी एक दौर में जिस बीजेपी के संग खड़ी थी. आज उसी बीजेपी के राज्य में बढ़ते प्रभाव से वो चिंतित हो रही हैं. इसी के मद्देनजर ममता अपने सियासी समीकरण दुरुस्त करने में जुट गई हैं. प्रो-मुस्लिम पॉलिसी के आरोप तो ममता पर लगते रहे हैं अब ममता इसके साथ-साथ सॉफ्ट हिंदुत्व की राह भी अपना रही हैं. इस कड़ी में उनकी पार्टी ने पहले राज्य में सभी ग्रामीण परिवारों को गाय बांटने का ऐलान किया था. इसके बाद सोमवार को ममता बनर्जी ने कलकत्ता से दो सौ किमी दूर बीरभूमि में ब्राह्मण सम्मेलन किया.
बंगाल में सियासत में बीजेपी अपनी जड़े जमाने के लिए पुरजोर कोशिश में लगी है. 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से लगातार उसका ग्रॉफ राज्य में बढ़ा है. बीजेपी ने शुरू से ही ममता बनर्जी को मुस्लिम परस्त के तौर पर पेश करती रही है. बीजेपी आने वाले चुनाव में ममता की मुस्लिम परस्ती की छवि को भुनाने की कोशिश में है. ममता को अब लेफ्ट से कहीं ज्यादा बीजेपी का डर सताने लगा है. इसीलिए ममता ने उससे पहले ही ब्राह्मण सम्मेलन के जरिए अपना सियासी दांव चला है.
तृलमूल कांग्रेस के ब्राह्मण सम्मेलन में करीब 15000 ब्राह्मण शामिल हुए और सभी के गले में भगवा गमछा पड़ा था. ममता ने सभी ब्राह्मणों को गीता और विवेकानंद की किताब भेंट की. इस सम्मेलन में पंडितों ने अपनी जीविका चलाने के लिए पेंशन और 5000 गाय की मांग की.
टीएमसी के ब्राह्मण सम्मेलन की पीछे ममता बनर्जी का सियासी मुफाद छिपा हुआ है. पश्चिम बंगाल के राजनीतिक समीकरण को देखें तो करीब 70.54 फीसदी हिंदू मतदाता हैं और 28 फीसदी के करीब मुस्लिम आबादी है. बंगाल में ब्राह्मण आबादी महज 3 फीसदी है, लेकिन राज्य की राजनीति में उनका सबसे बड़ा दखल है. लेफ्ट से लेकर कांग्रेस और तृलमूल कांग्रेस में ब्राह्मणों का दबदबा है.
बीजेपी ममता को मुस्लिम परस्ती के आरोप लगाकर राज्य के हिंदु वोटरों को अपने पक्ष में एकजुट करना चाहती है. बीजेपी बंगाल में असम वाले फॉर्मूले को जरिये सियासी जंग फतह करने के जुगत में है. बीजेपी राज्य के 70 फीसदी हिंदू मतों को टारगेट करके अपनी रणनीति बनाई है. इसी मद्देनजर ममता को मुस्लिम चेहरे को तौर बीजेपी पेश करती रही है.
बीजेपी के सियासी गणित को ममता बनर्जी ने समझते हुए राज्य के दो बड़े समुदायों को एक साथ साधने की कोशिश कर रही हैं. इस कड़ी में ममता ने पहले तोहफे में गाय देने की बात कही और अब ब्राह्मण सम्मेलन के जरिए हिंदू समुदाय को संदेश देने की कोशिश की. ममता के सॉफ्ट हिंदुत्व की राह से बीजेपी में भी घबराहट है.
पश्चिम बंगाल में बीजेपी के प्रभारी और पार्टी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा ' ममता जो कभी दुआ के लिए हाथ उठाती थी, वो अब अचानक बदल चुकी हैं. ब्राह्मणों के सम्मेलन का आयोजन कर रही है, गायों और गीता लोगों को बांट रही हैं. ये सब सिर्फ वोट पाने के लिए कर रही है. प्रदेश की जनता उनके दोहरे चरित्र से वाकिफ है.