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FDI पर मोदी सरकार के बड़े फैसले, किया दुनिया में सबसे खुली अर्थव्यवस्था का दावा

अब 'एप्पल' के चमचमाते हुए स्टोर भारत में भी खुलेंगे और रक्षा से लेकर एविऐशन सेक्टर में 100 फीसदी तक विदेशी निवेश आने का रास्ता भी साफ हो गया है.

पीएम मोदी पीएम मोदी
लव रघुवंशी/बालकृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 20 जून 2016,
  • अपडेटेड 9:36 PM IST

रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन की विदाई पर मचे हड़कंप के बीच सरकार ने सोमवार को विदेशी निवेश को लेकर एक साथ कई धमाकेदार फैसले कर डाले.

अब 'एप्पल' के चमचमाते हुए स्टोर भारत में भी खुलेंगे और रक्षा से लेकर एविऐशन सेक्टर में 100 फीसदी तक विदेशी निवेश आने का रास्ता भी साफ हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद विदेशी निवेश को लेकर इन बड़े फैसलों का ऐलान किया गया. सरकार ने दावा किया कि इन फैसलों के बाद भारत दुनिया में सबसे खुली अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है और विदेशी निवेश के लिए दुनिया का सबसे पसंदीदा मुल्क भी.

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एफडीआई को अब 'ऑटोमेटिक' मंजूरी
मोदी सरकार ने विदेशी निवेश को लेकर सोमवार को जो फैसले लिए उनकी तीन खास बातें हैं. पहली बात ये है कि विदेशी निवेश के रास्ते से सारी अड़चने हटाते हुए, महज कुछ चीजों को छोडकर, हर चीज में एफडीआई को अब 'ऑटोमेटिक' मंजूरी मिलेगी. यानि अब निवेशकों को मंजूरी के लिए दर-दर भटकना नहीं होगा और फैसला लंबे समय तक लटकने का डर नहीं होगा.

निवेशकों को लुभाने की कोशिश
दूसरी बात ये है कि ज्यादातर चीजों में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ा दी गई है और तीसरी बात ये है कि विदेशी निवेश की शर्तों में बहुत सी ढील दी गई है और नियमों को सरल बनाया गया है. मकसद ये है कि उलझाने वाले नियम कानून से घबराकर और मुश्किल शर्तों के चक्कर में फंसकर कोई निवेशक भारत में आने से कतराए नहीं.

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नियमों में दी छूट
जैसे एप्पल और फर्नीचर के नामी ब्रांड आईकिया के अब भारत में स्टोर खोलने का रास्ता अब इसलिए साफ हो गया क्योंकि सरकार ने सिंगल ब्रांड रिटेल में इस निवेश करने वालों को तीन साल तक नियमों में छूट दे दी. पहले शर्त थी कि ऐसे ब्रांड्स को भारत में स्टोर खोलने की इजाजत तभी मिलेगी जब वो भारत में अपने बिजनेस के लिए कम से कम तीस फीसदी सामान भारत से ही खरीदें.

सोमवार को हुए फैसले के मुताबिक
-भारत में बनी खाने पीने की चीजों को बेचने और उसका कारोबार करने के लिए 100 फीसदी विदेशी निवेश को मंजूरी मिलेगी. कंपनियां ये काम ई कामर्स से भी कर सकती हैं.

-रक्षा के क्षेत्र में सरकार की मंजूरी मिलने के बाद अब 100 फीसदी विदेशी निवेश हो सकता है. इसके लिए पहले जो स्टेट ऑफ द आर्ट टेक्नालाजी भारत में लाने की जो शर्त थी उसे खत्म कर दिया गया है. सरकार चाहती है कि भारत दुनिया में डिफेंस सेक्टर की चीजें बनाने का बड़ा केंद्र बनकर उभरे.

-मोबाइल, टीवी, डीटीएच और केबल नेटवर्क को हाईटेक बनाने के लिए 100 फीसदी विदेशी निवेश अब आसानी से हो सकेगा.

-नई दवा कंपनी लगाने के लिए 100 फीसदी विदेशी निवेश ऑटोमेटिक तरीके से हो सकेगा. सरकार की मंजूरी के बाद पहले से चल रही दवा कंपनियों में भी 100 फीसदी विदेशी निवेश हो सकेगा.

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-इसी तरह नया एयरपोर्ट लगाने के लिए 100 फीसदी विदेशी निवेश और पहले से चल रहे एयरपोर्ट में सरकार की मंजूरी के बाद 100 फीसदी विदेशी निवेश का रास्ता साफ हो गया.

कॉमर्स मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार को पूरा भरोसा है कि विदेशी निवेश के रास्ते में आने वाली रूकावटे दूर होने से देश में रोजगार के बहुत से नए अवसर बनेंगे और मेक इन इंडिया का सपना भी साकार होगा.

राजन से ध्यान खींचने की कोशिश
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन को दूसरी पारी नहीं मिलने पर तमाम जानकारों का कहना था कि इससे विदेशी निवेशकों के भरोसे को धक्का लगेगा और निवेशक भारत को लेकर बिदक सकते हैं. सोमवार को इन फैसलों का ऐलान करके मोदी सरकार ने रघुराम राजन से निवेशकों का ध्यान खींचने की कोशिश की है. इसका असर भी दिखा और शेयर मार्केट सोमवार को 241 अंको की बढत के साथ बंद हुआ.

दूसरी बार किए बड़े फैसले
विदेशी निवेश को लेकर मोदी सरकार ने दूसरी बार बड़े फैसलों को ऐलान किया है. गौरतलब है कि पहली बार ऐसे बड़े फैसले पिछले साल तब हुए थे जब बीजेपी को बिहार चुनावों में करारी हार का सामना करना पडा था.

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