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बायोमीट्रिक एंट्री से खत्म होगा ट्रेन में सीटों का झगड़ा, पुष्पक एक्सप्रेस में सफल रहा ट्रायल

ट्रेनों के जनरल डिब्बों में चढ़ने के लिए यात्रियों में मारामारी मचती है. सीट के चक्कर में ट्रेन चलने के घंटों पहले से ही यात्री प्लेटफॉर्म पर डटे रहते हैं. ऐसे में भीड़ प्रबंधन के लिए आरपीएफ की ओर से आजमाया गया बायोमीट्रिक सिस्टम सफल रहा है. पुष्पक में पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर सीटें देने वाली यह व्यवस्था अन्य ट्रेनों में भी लागू करने की तैयारी है.

RPF के DG अरुण कुमार ने बताया कि ट्रेनों में बायोमीट्रिक एंट्री का ट्रायल सफल रहा है.(फाइल फोटो-IANS)) RPF के DG अरुण कुमार ने बताया कि ट्रेनों में बायोमीट्रिक एंट्री का ट्रायल सफल रहा है.(फाइल फोटो-IANS))
नवनीत मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 7:33 AM IST

पुष्पक एक्सप्रेस के बाद अब अन्य ट्रेनों के जनरल डिब्बों में भी सवार होने के लिए धक्कामुक्की और मारपीट की नौबत खत्म होने वाली है. पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर सीटें मिलेंगी. इसके लिए रेलवे सुरक्षा बल(आरपीएफ) ने खास पहल की है. मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से लखनऊ के लिए चलने वाली पुष्पक एक्सप्रेस में बायोमीट्रिक सिस्टम का ट्रायल सफल रहा है. जिसके बाद धीरे-धीरे अब अन्य ट्रेनों में भी इस उपाय को लागू कर भीड़ प्रबंधन की तैयारी है.

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सिस्टम लागू होने से बायोमीट्रिक मशीन से गुजरने के बाद ही यात्री डिब्बों में सवार हो सकेंगे. रेल मंत्री पीयूष गोयल के निर्देशन में आम रेल यात्रियों की तकलीफों को दूर करने के मद्देनजर आरपीएफ की ओर से की गई यह पहल स्टेशनों पर यात्रियों की भीड़ संभालने में बेहद मददगार मानी जा रही.

स्टेशनों पर उमड़ने वाले यात्रियों की भीड़ प्रबंधन का खाका तैयार करने वाले आरपीएफ के महानिदेशक और 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी अरुण कुमार ने रेल भवन में AajTak.in से  बातचीत में बताया कि मुंबई के चार स्टेशनों पर बायोमीट्रिक मशीनें लगा दी गई हैं. पुष्पक एक्सप्रेस में पिछले चार महीने से जारी ट्रायल सफल रहा है. अब जरूरत के हिसाब से उन सभी ट्रेनों की जनरल बोगियों में यात्रियों के प्रवेश के लिए बायोमीट्रिक सुविधा लागू करने की तैयारी है, जिसमें भारी भीड़ के कारण उपद्रव की स्थिति हो जाती है. बायोमीट्रिक सुविधा होने से ट्रेनों की सीटों पर कब्जे के लिए यात्रियों के बीच मारपीट की नौबत नहीं आएगी.

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RPF के महानिदेशक अरुण कुमार ने 'आजतक' से कहा कि बायोमीट्रिक सिस्टम की सफलता के बाद इसे और ट्रेनों में लागू करने की योजना है. फोटो-(Navneet)

सिपाही और कुली बेच देते थे सीटें

दरअसल, दिल्ली, मुंबई आदि स्टेशनों पर यात्रियों की भारी भीड़ जुटती है. बड़ी तादाद में लोग अनारक्षित यानी जनरल डिब्बों में सफर करते हैं. जनरल डिब्बों में चढ़ने के लिए यात्रियों में मारामारी मचती है. सीट के चक्कर में ट्रेन चलने के घंटों पहले से ही यात्री डटे रहते हैं.

आरोप लगते रहे हैं कि स्टेशनों पर कुली और आरपीएफ के कुछ मनबढ़ सिपाही पैसे लेकर जनरल डिब्बों की सीटें बेच देते हैं. वही यात्रा जनरल डिब्बे में चढ़ पाता है, जो उन्हें पैसे चुकाता है. पैसे न देने वाले लोग आखिर में ही बोगियों में चढ़ पाते थे.

इसे देखते हुए आरपीएफ के डीजी अरुण कुमार ने ट्रायल के तौर पर पहले लंबी दूरी की और बहुत भीड़भाड़ वाली पुष्पक एक्सप्रेस में बायोमीट्रिक सिस्टम लागू करने की योजना बनाई. डीजी अरुण कुमार ने पाया कि तकनीक के इस्तेमाल से क्यू मैनेजमेंट में मदद मिली. प्लेटफॉर्म पर भगदड़ की नौबत खत्म हुई. यात्री आसानी से बोगियों में सवार होने लगे.

कैसे काम करता है बायोमीट्रिक सिस्टम

जब आप स्टेशन पर पहुंचेंगे तो संबंधित ट्रेन में सवार होने के लिए आपको बायोमीट्रिक सिस्टम से गुजरना होगा. आपको मशीन में अंगुली लगाकर फिंगर प्रिंट देना पड़ेगा. फिंगर प्रिंट देने के बाद बोगी में आपके लिए सीट रिजर्व हो जाएगी. इसके बाद आप बेफिक्र हो सकते हैं. आपको प्लेटफॉर्म पर ही डटे रहने की जरूरत नहीं. जब ट्रेन का समय होगा, तब आप मौके पर पहुंचकर और फिर से अपना फिंगर प्रिंट मैच कराने पर आपको आरपीएफ की ओर से बोगी में एंट्री मिल जाएगी.

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बोगी की जितनी क्षमता होगी, उतनी ही मशीन फिंगर प्रिंट लेगी. इस प्रकार पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर लोगों को आसानी से सीट मिल जाएगी. उन्हें सीट के लिए मारामारी करने की जरूरत नहीं होगी. देरी से आने वाले लोग भी चढ़ सकेंगे, मगर वे जुगाड़ के दम पर सीट नहीं पा सकेंगे.

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