Advertisement

तीन तलाक कानून: केंद्र सरकार को फौरी राहत, वैधता पर सुनवाई के लिए SC तैयार

तीन तलाक कानून के खिलाफ दाखिल जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन कोर्ट तीन तलाक कानून की वैधता का परीक्षण करने को तैयार है.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 11:27 AM IST

तीन तलाक कानून के खिलाफ दाखिल जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन कोर्ट तीन तलाक कानून की वैधता का परीक्षण करने को तैयार है.

इसके लिए कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई धार्मिक प्रैक्टिस को गलत करार/ अपराध करार दिया हो, जैसे दहेज/सती आदि. ऐसे में क्या इसे अपराध की सूची में नहीं रखेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पाबंदी और अपराध घोषित होने के बावजूद ऐसी घटनाएं हो रही हैं. इसमें अधिकतम तीन साल की सजा भी है.

Advertisement

बता दें कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने तीन तलाक कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. उन्होंने इसपर रोक की मांग की है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मुताबिक तीन तलाक कानून का एकमात्र उद्देश्य मुस्लिम पतियों को दंडित करना है. ये भी कहा गया है कि मुस्लिम पतियों के साथ अन्याय है.

इससे पहले जमीयत उलेमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने तलाक को लेकर कानून पारित होने पर चिंता जताई थी. उन्होंने कहा था कि इस कानून से मुस्लिम तलाकशुदा महिला के साथ न्याय नहीं, बल्कि अन्याय की आशंका है.

महमूद मदनी ने कहा था कि कानून के तहत पीड़ित महिला का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा, उसके लिए दोबारा निकाह व नई जिंदगी शुरू करने का रास्ता बिल्कुम खत्म हो जाएगा और इस तरह तलाक का असल मकसद ही खत्म हो जाएगा.

Advertisement

तीन तलाक भारत में अपराध है. तीन तलाक बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान शामिल है.

अगर मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से पति अगर एक बार में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा. तीन तलाक देने पर पत्नी स्वयं या उसके करीबी रिश्तेदार ही इस बारे में केस दर्ज करा सकेंगे.

महिला अधिकार संरक्षण कानून 2019 बिल के मुताबिक एक समय में तीन तलाक देना अपराध है. इसलिए पुलिस बिना वारंट के तीन तलाक देने वाले आरोपी पति को गिरफ्तार कर सकती है. एक समय में तीन तलाक देने पर पति को तीन साल तक कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है. मजिस्ट्रेट कोर्ट से ही उसे जमानत मिलेगी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement