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तीन तलाक पर ओवैसी का सवाल- मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी तो हिंदू से क्यों नहीं?

तीन तलाक बिल का विरोध करते हुए हैदराबाद से सांसद और AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह संविधान विरोधी व आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन है. मोदी सरकार को मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी है तो केरल की हिंदू महिलाओं से मोहब्बत क्यों नहीं?

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी
कुबूल अहमद/अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 21 जून 2019,
  • अपडेटेड 5:15 PM IST

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिलाओं को ट्रिपल तलाक से निजात दिलाने के लिए तीन तलाक बिल को शुक्रवार को लोकसभा के पटल पर रखा. इसके बाद सदन में कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया. तीन तलाक बिल का विरोध करते हुए हैदराबाद से सांसद और AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह संविधान विरोधी व आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन है. मोदी सरकार को मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी है तो केरल की हिंदू महिलाओं से मोहब्बत क्यों नहीं? आखिर सबरीमाला पर आपका रुख क्या है?

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सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक विधेयक पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अगर किसी गैर मुस्लिम को केस में डाला जाए तो उसे 1 साल की सजा और मुसलमान को 3 साल की सजा. क्या यह आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन नहीं है? इस बिल से सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को सजा मिलेगी. आप मुस्लिम महिलाओं के हित में नहीं हैं बल्कि आप उन पर बोझ डाल रहे हैं.

ओवैसी ने कहा कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि अगर कोई शख्स एक समय में तीन तलाक देता है तो शादी नहीं टूटेगी. ऐसे में बिल में जो प्रवाधान है, उससे पति जेल चला जाएगा और उसे 3 साल जेल में रहना होगा. ऐसे में मुस्लिम महिला को गुजारा-भत्ता कौन देगा? आप (सरकार) देंगे?

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ओवैसी ने कहा कि आपको मुस्लिम महिलाओं से इतनी मोहब्बत है. केरल की हिंदू महिलाओं से मोहब्बत क्यों नहीं है. क्यों आप सबरीमाला के फैसले के खिलाफ हैं? यह गलत हो रहा है.

असदुद्दीन ओवैसी ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा कि इस बिल से कोई फायदा नहीं होगा बल्कि मुस्लिम महिलाओं को नुकसान होगा. यह विधेयक पहले तो हमारे संविधान के मूल अधिकारों के खिलाफ है. ओवैसी ने कहा कि अगर आप कोई कानून बना रहे हैं तो उसके तहत रीजनेबल क्लासिफिकेशन होनी चाहिए. मौजूदा समय में दूसरे कई कानून हैं जिसमें घरेलू हिंसा कानून जो की काफी पॉवरफुल है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला है, जिसमें तीन तलाक को रद्द कर दिया गया. ऐसे में अगर कोई तलाक देता है तो शादी नहीं टूटेगी. ऐसे आप उसका अपराधीकरण कर रहे हैं.

ओवैसी ने कहा कि अगर कोई गैर मुस्लिम अपनी पत्नी को छोड़ता है तो उसे 1 साल की सजा और मुस्लिम को 3 साल की सजा, जो सामान अधिकार के खिलाफ है. आपको बहुमत मिला है तो संविधान के खिलाफ कानून थोड़े बना देंगे. यह मेरा अधिकार है कि सरकार कोई बिल लाती है और मुझे लगता है कि यह सही नहीं है तो हम विरोध कर सकते हैं.

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ओवैसी से पहले कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सदन में कहा कि मैं इस बिल के पेश किए जाने का विरोध करता हूं. उन्होंने कहा कि मैं तीन तलाक का समर्थन नहीं करता, लेकिन इस बिल के विरोध में हूं. थरूर ने कहा, यह बिल संविधान के खिलाफ है, इसमें सिविल और क्रिमिनल कानून को मिला दिया गया है.

उन्होंने कहा कि अगर सरकार की नजर में तलाक देकर पत्नी को छोड़ देना गुनाह है, तो ये सिर्फ मुस्लिम समुदाय तक ही सीमित क्यों है. उन्होंने कहा कि क्यों न इस कानून को सभी समुदाय के लिए लागू किया जाना चाहिए. कांग्रेस की ओर से कहा गया कि सरकार इस बिल के जरिए मुस्लिम महिलाओं को फायदा नहीं पहुंचा रही है बल्कि सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को ही सजा दी रही है.

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