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कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के विरोध के चलते तीन तलाक बिल गुरुवार को दूसरे दिन भी राज्यसभा से पारित नहीं हो सका. सदन में सत्ता पक्ष और विपक्षी नेताओं के हंगामे के बाद उपसभापति पीजे कुरियन ने सदन की कार्यवाही को शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
अब केंद्र सरकार के पास राज्यसभा से इस बिल को पास कराने के लिए सिर्फ आज (शुक्रवार) का ही समय है. आज संसद के शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन है. इससे पहले गुरुवार को हंगामे की वजह से बहस आधे घंटे भी नहीं चल सकी थी.
गुरुवार शाम करीब 5.30 बजे राज्यसभा में तीन तलाक बिल पर बहस शुरू हुई. सबसे पहले सपा नेता नरेश अग्रवाल ने सभापति से कहा कि वो बिल को प्रवर समिति के पास भेजने का प्रस्ताव मंजूर करें, ताकि पूरे सदन की राय पता चल सके. इसके बाद सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'जो बिल लाया गया है, हम सब उसके खिलाफ हैं.
उन्होंने कहा कि यह बिल मुस्लिम महिलाओं के नाम पर लाया गया है, पर इसमें जो प्रावधान हैं, वे मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को खत्म करने वाले हैं. इस बिल में मुस्लिम महिलाओं के पति को जेल में डालने का प्रावधान किया गया है. अगर मुस्लिम महिला के शौहर को जेल में डाल दिया जाएगा, तो उनको खर्चा कौन देखेगा? मुस्लिम महिला को आखिर कौन खिलाएगा. बिल में सरकार ऐसा प्रावधान लाए, जिसमें मुस्लिम महिलाओं को खर्चा देने का प्रावधान हो.
उन्होंने आगे कहा, 'सेलेक्ट और ज्वाइंट कमेटी अगर एक तरफा नाम देती है, तो यह वैध नहीं है. एक सेलेक्ट कमेटी को विधेयक पर काम करना होता है, विपक्ष के नेता चूंकि कहते हैं कि अपोजिशन के ज्यादातर नेता बिल के खिलाफ हैं जो कि नहीं हैं.'
जेटली ने आगे कहा कि बिल के खिलाफ साजिश करने वालों को कमेटी में कैसे रखा जा सकता है. ये नियम है कि ऐसा करने वाले अपने आप कमेटी से डिसक्वालीफाई हो जाते हैं.
बिल पर बहस के दौरान कांग्रेसी नेता आनंद शर्मा ने कहा, 'कल जब हम रिज्यूलेशन लाए तो कहा कि कमेटी के नाम बीजेपी और एनडीए की ओर से दिए जाने चाहिए.
तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि सभी पार्टी के नेताओं ने कहा था कि बिल को सेलेक्ट कमेटी में जाना चाहिए. तब चेयरमैन ने कहा- सरकार तैयार नहीं होगी तो मामले पर चर्चा होगी.
सदन की अध्यक्षता कर रहे पीजे कुरियन ने खड़े होकर कहा कि सदन में सहमति नहीं है, इसलिए तीन तलाक बिल नहीं ला सकते. हंगामे पर कुरियन ने कहा, 'कल मैंने ही दोनों मोशन स्वीकार किए. अगर संशोधन में कोई तकनीकी गड़बड़ी है तो हम देखेंगे. लेकिन फिर भी ये स्वीकार है.'
उन्होंने 24 घंटे पहले नोटिस दिए जाने के मामले पर कहा, 'नियम से साफ है कि नोटिस पहले दिया जाना चाहिए. पर वही रूल कहता है कि यहां चेयरमैन ने मोशन को अनुमति दी है तो मैं (उपसभापति) उसे नहीं बदल सकता.'
सेलेक्ट कमेटी की मांग पर अड़ा है विपक्ष
इस बिल को मोदी सरकार ने लोक सभा में तो आसानी से पास करवा लिया. लेकिन, अब राज्य सभा में इसे पास करवाने के लिए सरकार को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है. राज्य सभा में आते ही कांग्रेस समेत विपक्ष ने आंकड़े की ताकत दिखाई और सरकार बैकफुट पर आ गई. बुधवार को बिल पेश तो हुआ, लेकिन चर्चा शुरू नहीं हो सकी. गुरुवार को भी सरकार इस बिल को पास नहीं करवा सकी.
राज्य सभा में सरकार के पास संख्या है नहीं और विपक्ष अपने इस रुख पर कायम है कि जो बिल सरकार पास कराना चाहती है उसमें तमाम खामियां हैं और उसको सलेक्ट कमेटी के पास भेजी जाने की सख्त जरूरत है. अब सरकार के पास इस बिल को पास कराने के लिए सिर्फ एक दिन का समय है. शीतकालीन सत्र 5 जनवरी को खत्म हो रहा है. इससे पहले सरकार को जरूरी जीएसटी संशोधन बिल भी पास कराना है, जो लोकसभा में पास हो चुका है.
कल क्या हुआ था राज्य सभा में
बुधवार को राज्य सभा में बिल पास करा पाने में असफल होने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अप्रत्यक्ष तरीके से ट्रिपल तलाक बिल का विरोध कर रही है. वो चाहते तो इस पर कोई सुझाव दे सकते थे, लेकिन वो सिर्फ इसको टालने की कोशिश में लगे हैं. उन्होंने कहा कि संसद के लिए एक सुनहरा मौका था कि सालों से मुस्लिम महिलाओं पर जो अन्याय हो रहा है उसे ठीक किया जाए. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उसे नहीं होने दिया. देश के लोगों की जो इच्छा है वह हो कर रहेगी.
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी कहा था कि लोगों ने देख लिया है कि कौन लोग मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिलने के रास्ते में रोड़े अटका रहे हैं. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार अपनी तरफ से इस बिल को जल्द से जल्द पास कराने के लिए पूरी ताकत लगाएगी.
लोकसभा में हो चुका है पासआपको बता दें कि बिल का दोनों सदनों में पास होना जरूरी है, उसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. लोक सभा में यह बिल 28 दिसंबर को पेश किया गया था जो 7 घंटे तक चली बहस के बाद पास हो गया था. बहस के बाद कई संशोधन भी पेश किए गए, लेकिन सदन में सब निरस्त कर दिए गए. इनमें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी के भी 3 संशोधन थे.