
मोदी सरकार ने शीतकालीन सत्र में ही तीन तलाक विरोधी बिल को पास कराकर मुस्लिम महिलाओं को ट्रिपल तलाक से आजादी दिलाने का बीड़ा उठाया था. मोदी सरकार ने इसे लोकसभा में पास भी करा लिया, लेकिन राज्यसभा में कांग्रेस और विपक्षी दलों के यू टर्न लेने से बिल अधर में अटक गया है. इस सत्र में बिल पास नहीं हो सका. ऐसे में मोदी सरकार अब जल्द ही अपना मास्टरस्ट्रोक चलने की तैयारी में है. सरकार की इस रणनीति से विपक्षी दलों की एक नहीं चलेगी और जल्द ही बिल को कानूनी अमलीजामा पहनाया जा सकेगा.
मोदी सरकार के तीन तलाक के खिलाफ तेवर सख्त हैं और इसे अपनी प्रतिष्ठा का सबब बना लिया है. तीन तलाक को जुर्म घोषित कर इसके लिए सजा मुकर्रर करने संबंधी बिल को कानूनी अमली जामा पहनाने के लिए अगर विपक्षी दलों के रवैये में बदलाव नहीं आता है तो मोदी सरकार अध्यादेश लाने का दांव चल सकती है.
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक अखबार को दिए गए साक्षात्कार में साफ कहा कि सरकार मुस्लिम महिलाओं को उनका हक दिलाकर रहेगी. उन्होंने कहा कि सरकार के सामने सभी संवैधानिक विकल्प खुले हैं. इसका मतलब साफ है कि विधेयक पर कांग्रेस का रवैया नहीं बदला तो सरकार बजट सत्र से पहले अध्यादेश लाकर इसे कानूनी अमलीजामा पहना सकती है.
बता दें कि मोदी सरकार ने पिछले सप्ताह तीन तलाक विरोधी बिल ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट' को लोकसभा में पेश किया था. कुछ विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद ये बिल बिना किसी संशोधन के पास हो गया था. कांग्रेस ने लोकसभा में इस बिल की कुछ खामियों पर अपत्तियां दर्ज कराते हुए समर्थन किया था.
राज्यसभा में तीन तलाक बिल पेश हुआ तो कांग्रेस पूरे तेवर में नजर आई और बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने पर अड़ी रही. मोदी सरकार के पास राज्यसभा में बहुमत न होने के चलते और कांग्रेस के यू टर्न लेने से ये बिल पास नहीं हो सका. जबकि मोदी सरकार सदन में बहस करना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल इस विधेयक में कुछ संशोधन के लिए सेलेक्ट कमेटी को भेजने पर अड़े थे. इसके चलते राज्यसभा में बिल पास नहीं हो सका.
मोदी सरकार का कहना है कि यादि कांग्रेस तीन तलाक पर कोई सार्थक और रचनात्मक सुझाव लाएगी तो उस पर खुले दिल से विचार करने को तैयार है. लेकिन ऐसा प्रस्ताव जो विधेयक की आत्मा को मारता हो और महिलाओं के खिलाफ अन्याय को बढ़ाता उसे स्वीकार्य नहीं करेंगे. तीन तलाक देने वालों को सजा दिलाने का कानून बनाएंगे. इसके लिए मोदी सरकार किसी भी तरह संवैधानिक विकल्प का सहारा ले सकती है.