Advertisement

त्रिपुरा: आज तय हो सकता है सीएम का नाम, 9 मार्च को शपथ

मुख्यमंत्री की दौड़ में आगे माने जा रहे त्रिपुरा भाजपा के अध्यक्ष बिप्लव देव ने कहा कि बैठक केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में राज्य अतिथिगृह में होगी. भाजपा प्रवक्ता मृणाल कांति देब ने कहा कि केंद्रीय मंत्री जुएल ओरांव भी बैठक में मौजूद रहेंगे.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बिप्लव देव भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बिप्लव देव
मोहित ग्रोवर/हिमांशु मिश्रा
  • अगरतला, त्रिपुरा,
  • 06 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 9:23 AM IST

त्रिपुरा में 25 साल पुराने लेफ्ट के किले को ढहाने वाली भारतीय जनता पार्टी अब राज्य में सरकार बनाने की तैयारियों में जुट गई है. त्रिपुरा में भाजपा और उसकी सहयोगी आईपीएफटी के नवनिर्वाचित विधायक मंगलवार को अपने नए नेता का चुनाव करेंगे और इस बीच आईपीएफटी ने नए मंत्रिमंडल में सम्मानजनक पदों की मांग की है.

मुख्यमंत्री की दौड़ में आगे माने जा रहे त्रिपुरा भाजपा के अध्यक्ष बिप्लव देव ने कहा कि बैठक केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में राज्य अतिथिगृह में होगी. भाजपा प्रवक्ता मृणाल कांति देब ने कहा कि केंद्रीय मंत्री जुएल ओरांव भी बैठक में मौजूद रहेंगे.

Advertisement

नई सरकार 9 मार्च को स्वामी विवेकानंद मैदान में शपथ लेगी. बीजेपी कार्यक्रम को भव्य बनाने की तैयारी में है, शपथ समारोह में कई बीजेपी राज्यों के मुख्यमंत्री भी हिस्सा ले सकते हैं. इसके अलावा पीएम मोदी भी मौजूद रहेंगे. त्रिपुरा में 59 सीटों के लिए चुनाव हुए जिनमें से 35 पर भाजपा और आठ सीटों पर उसके सहयोगी दल इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा( आईपीएफटी) के उम्मीदवार विजयी हुए हैं.

एक सीट पर माकपा उम्मीदवार के निधन के कारण मतदान रद्द कर दिया गया.  इस बीच आईपीएफटी ने भाजपा पर दबाव बनाते हुए कहा कि अगर उसे मंत्रिमंडल में सम्मानजनक पद नहीं दिये गए तो वह नई सरकार को बाहर से समर्थन देगी.

आईपीएफटी के अध्यक्ष एन सी देबबर्मा ने स्थानीय विधायकों में से ही मुख्यमंत्री चुने जाने की भी मांग की. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में परंपरा है कि स्थानीय समुदाय से मुख्यमंत्री का चुनाव किया जाए. देबबर्मा ने कहा कि आईपीएफटी को अगर कैबिनेट में सम्मानजनक पद नहीं मिलते तो वह विधानसभा में अपने विधायकों के बैठने के लिए अलग ब्लॉक की मांग करेगी.

Advertisement

सम्मानजनक पदों से क्या आशय है, यह पूछे जाने पर आईपीएफटी नेता ने कहा कि उनका मतलब कैबिनेट में उचित अनुपात में उनके विधायकों को प्रतिनिधित्व मिलने और उन्हें बड़े विभाग भी दिये जाने से है. देबबर्मा ने कहा, ‘‘ आशंका है कि हमें कैबिनेट में उचित जगह नहीं दी जाएगी और भाजपा की तरह महत्वपूर्ण विभाग नहीं दिये जाएंगे. भाजपा नेताओं ने आईपीएफटी की मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

आईपीएफटी ने चुनाव से पहले साझा न्यूनतम एजेंडा के आधार पर भाजपा के साथ गठजोड़ किया था. इसका गठन आदिवासी समुदाय के लोगों ने 90 के दशक में किया था.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement