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देवी लक्ष्मी और सरस्वती भारतीय सुंदरता की पहचान, डायना हेडन नहीं: बिप्लब देब

मुख्यमंत्री देव ने कहा, ‘अचानक हम खिताब लगातार पांच बार जीतने लगे. फिर हमने देखा कि देश के हर नुक्कड़-कोने में ब्यूटी पॉर्लर खुल गए. अब क्यों नहीं अधिक खिताब जीते जा रहे. बड़ी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों ने भारतीय बाजार पर कब्जा जमा लिया है. और अब वो नए बाजार तलाशने के लिए कहीं ओर मुड़ गए हैं.’

बिप्लव  देव बिप्लव देव
इंद्रजीत कुंडू/वरुण शैलेश/खुशदीप सहगल
  • अगरतला,
  • 27 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 2:47 PM IST

महाभारत के समय भी इंटरनेट होने का उद्घोष करने वाले त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव देव अब सौंदर्य ज्ञान बखारने के लिए सुर्खियों में हैं. देव ने सवाल किया है कि पूर्व मिस वर्ल्ड डायना हेडन कैसे कोई सौंदर्य प्रतियोगिता जीत सकती हैं.   

सौंदर्य प्रतियोगिताएं सिर्फ मार्केटिंग माफिया का खेल

मुख्यमंत्री देव अगरतला के प्रज्ञा भवन में हैंडलूम कारीगरों से जुड़े एक आयोजन में बोल रहे थे. देव ने कहा, ‘अंतर्राष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिताएं, जैसी कि पेरिस में होती हैं और कुछ नहीं मार्केटिंग माफिया का खेल है. रैम्प पर वो अपनी पोशाकों में महिलाओं को चलाते हैं. ये सब अंतर्राष्ट्रीय टेक्सटाइल माफिया की ओर से किया जाता है. ये पहले से ही तय होता है कि कौन से साल किसके सिर पर ताज रखा जाएगा.’

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अंतर्राष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिताओं में खिताब के लिए चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए देव ने कहा, ‘ये सब बड़ी कॉस्मेटिक्स कंपनियों की ओर से किया जाता है जिससे कि भारत जैसे देशों में विकासशील बाजार पर कब्ज़ा किया जा सके.’

‘डायना हेडन कैसे सुंदर, समझ से परे’

देव ने कहा, ‘लगातार पांच मिस वर्ल्ड और मिस यूनिवर्स खिताब भारत को दिए गए. जिसने भी हिस्सा लिया उसे खिताब मिल गया. यहां तक कि डायना हेडन को भी मिल गया...(हंसी)...लेकिन मुझे बताइए क्या वो इसके योग्य थीं? कहने को लोग कह सकते हैं कि विपल्व देव विवाद पैदा कर रहे हैं. लेकिन अगर ऐश्वर्या राय को ये खिताब मिलता है तो मैं समझ सकता हूं. कम से कम उनमें भारतीय सुंदरता के लक्षण तो हैं. हम भारतीयों के लिए देवी लक्ष्मी और सरस्वती सुंदरता को प्रतिबिम्बित करती हैं, लेकिन मैं डायना हेडन की सुंदरता को नहीं समझ सकता. मैं उनका विरोध नहीं कर रहा बस चयन प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा हूं.’

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ऐश्वर्या राय को 1994 और डायना हेडन को 1997 में मिस वर्ल्ड के खिताब से नवाजा गया था. देव ने जो कुछ कहा, उनके पीछे उनकी मंशा ये बताने की थी कि कैसे लाखों भारतीय महिलाओं के लिए कॉस्मेटिक सौंदर्य उत्पाद दूसरी दुनिया की चीज थीं.     

देव ने कहा, ‘भारतीय महिलाएं कॉस्मेटिक्स के बारे में नहीं जानती थीं. वो अपनी देह को मिट्टी और बालों को राख या मेथी के पानी से धोती थीं. लेकिन उदारीकरण का दौर शुरू होने के बाद अंतर्राष्ट्रीय कॉस्मेटिक माफिया को भारत में बड़ा बाजार होने की संभावना दिखी. सवा अरब भारतीयों में से आधी आबादी महिलाओं की है. और वो इस बाजार पर कब्जा जमाना चाहते हैं.’

अब क्यों नहीं हमें अधिक खिताब मिल रहे

मुख्यमंत्री देव ने कहा, ‘अचानक हम खिताब लगातार पांच बार जीतने लगे. फिर हमने देखा कि देश के हर नुक्कड़-कोने में ब्यूटी पॉर्लर खुल गए. अब क्यों नहीं अधिक खिताब जीते जा रहे. बड़ी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों ने भारतीय बाजार पर कब्जा जमा लिया है. और अब वो नए बाजार तलाशने के लिए कहीं ओर मुड़ गए हैं.’ देव ने कुछ ही दिन पहले बयान दिया था कि इंटरनेट महाभारत के समय भी मौजूद था. उनके उस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर खूब चटखारे लिए गए थे.

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बड़बोले नेताओं पर पीएम मोदी की नसीहत का भी असर नहीं

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में पार्टी के बड़बोले नेताओं को आगाह किया था कि वे खुद ही अपनी गलतियों से मीडिया को मसाला देते हैं और फिर मीडिया पर बयान को गलत तरीके से पेश करने की बात करते हैं. मोदी ने ये भी कहा था कि बोलने का काम उन्हीं पर छोड़ दिया जाए, जिन्हें पार्टी ने ये ज़िम्मेदारी सौंपी है, यानि प्रवक्ताओं को. लेकिन लगता नहीं कि प्रधानमंत्री की सलाह का ऐसे नेताओं पर कोई असर हुआ है.

अभी हाल में कर्नाटक के विधायक संजय पाटिल ने बयान दिया था कि कर्नाटक का चुनाव हिन्दू बनाम मुस्लिम है. पीएम की नसीहत के बाद पाटिल ने बचाव में कहा था कि उनके बयान को वैसे पेश नहीं किया गया जैसा कि वो कहना चाहते थे. 

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