
इंटरनेट की दुनिया में एक के बाद एक कई खुलासे करने वाले कंप्यूटर प्रोफेशनल एडवर्ड स्नोडेन ने भी आधार को लेकर आशंका व्यक्त की है. उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा कि भारत में आधार का गलत इस्तेमाल हो सकता है. बता दें कि गुरुवार को आधार का डेटाबेस लीक होने का मामला सामने आया था, जिसके बाद इसकी सुरक्षा पर सवाल उठे थे. पर एक दिन बाद ही अमेरिकी व्हिसिल ब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन ने आधार अथॉरिटी UIDAI के दावों के बिलकुल उलट बात कहकर सबको चौंका दिया है.
आधार को लेकर स्नोडेन ने क्या कहा
स्नोडेन ने कहा कि UIDAI द्वारा बनाए गए आधार के डिटेल का गलत इस्तेमाल या दुरुपयोग किया जा सकता है. बजफिड की रिपोर्ट पर सीबीएस के एक पत्रकार जैक विटेकर की ट्वीट का हवाला देते हुए स्नोडेन ने कहा, 'लोगों से जुड़े निजी जानकारी या रिकॉर्ड्स को सहेज कर रखना सरकार की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है. लेकिन इतिहास गवाह है कि कानून चाहे जैसा भी हो, उसका गलत इस्तेमाल या उल्लंघन होता रहा है.'
विटेकर ने इससे पहले कहा था, 'बजफीड की रिपोर्ट के मुताबिक, आईसीवाईएमआई, एक राष्ट्रीय आईडी डाटाबेस है जिसमें भारत के लगभग 1.2 अरब लोगों की निजी जानकारियां मौजूद हैं. इसका गलत इस्तेमाल हो रहा है. लोगों के निजी रिकॉर्ड्स के एडमिन अकाउंट्स बनाए जा रहे हैं और उन्हें बेचा जा सकता है ताकि दूसरा व्यक्ति उसका इस्तेमाल कर सके.'
500 रुपये में दिया गया था 100 लोगों का आधार डेटाबेस
गुरुवार को आधार अथॉरिटी UIDAI ने आधार डाटा लीक होने की आशंका से इनकार किया था. अथॉरिटी ने उस मीडिया रिपोर्ट को खारिज किया था, जिसमें कहा गया था कि 500 रुपये में करोड़ों आधार की डिटेल हासिल की गई. UIDAI ने कहा था कि रिपोर्ट में तत्थ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया. साथ ही भरोसा दिलाया कि आधार डिटेल सुरक्षित हैं और किसी भी तरह का डाटा लीक नहीं हुआ है.
UIDAI की ये सफाई अंग्रेजी अखबार, द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के बाद आई थी. ट्रिब्यून ने रिसर्च के बाद अपने रिपोर्ट में बताया था कि उन्होंने एक व्हाट्सएप ग्रुप से मात्र 500 रुपये में ये सर्विस खरीदी और करीब 100 करोड़ आधार कार्ड का एक्सेस मिल गया.
बताते चलें कि ट्रिब्यून की तहकीकात में उन्होंने एक एजेंट से संपर्क साधा, जिसने मात्र 10 मिनट में एक गेटवे दिया और लॉग-इन पासवर्ड दिया. इसके जरिए अब सिर्फ आधार कार्ड का नंबर डालना था और किसी भी व्यक्ति के बारे निजी जानकारी आसानी से मिल गई.
यही नहीं, ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक 300 रुपये ज्यादा देने पर उन्हें उस आधार कार्ड की जानकारी को प्रिंट करवाने का अधिकार भी मिल गया. इसके लिए अलग से एक सॉफ्टवेयर था.
हालांकि, UIDAI ने ट्रिब्यून रिपोर्ट का खंडन किया और कहा कि किसी भी व्यक्ति का आधार खो जाए तो उसकी जानकारी निकाली जा सकती है. लेकिन बायोमेट्रिक डाटा से छेड़छाड़ संभव नहीं. बायोमेट्रिक डेटाबेस पूरी तरह सुरक्षित है. साथ ही UIDAI ने इस बात का भरोसा दिया कि इसका गलत इस्तेमाल करने वाले लोगों का पता लगाना भी आसान है.
UIDAI ने यह भी कहा कि आधार कोई सीक्रेट नंबर नहीं है. इसे किसी भी सरकारी संस्था के साथ शेयर किया जा सकता है, जिससे आप इससे जुड़े काम को निपटा सकें. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आधार को शेयर करने मात्र से आपको दिक्कत होगी. इससे किसी प्रकार के धोखाधड़ी का खतरा नहीं है.
गौर हो कि आधार के डिटेल्स लीक होने की खबरें ऐसे समय में आ रही हैं जब सुप्रीम कोर्ट 17 जनवरी को एक याचिका के आधार पर आधार नंबर की गोपनीयता संबंधी मामले में अंतिम सुनवाई शुरू करने की तैयारी में है. सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त, 2017 में कहा था कि संविधान के तहत गोपनीयता एक मौलिक अधिकार है.
कौन है स्नोडेन
अपने खुलासों से सबको चौंकाने वाले एडवर्ड स्नोडेन मास्को में रहते हैं. वो अमेरिकी एनएसए के लिए काम कर चुके हैं. फेमस कंप्यूटर प्रोफेशनल स्नोडेन को एनएसए संबंधित गुप्त जानकारी लीक करने के आरोपों के बीच अमरीका से पलायन कर गए थे. उन्हें अमेरिका ने भगोड़ा घोषित किया हुआ है.