
कश्मीर घाटी में हिंसा को 45 दिन हो गए है. जाहिर है केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से पूछा जाने लगा है की आखिर कश्मीर के हालात पर उसकी रणनीति क्या है और वो हिंसा को रोकने के लिए क्या कर रही है? सरकार भले ही सर्वदलीय बैठक बुलाए या विपक्षी नेताओं से मिले एक बात जो इस पूरी स्थिति में साफ हो रही है, वो ये है कि मोदी सरकार इस बार नरमी के मूड में नहीं है. हिंसा और कर्फ्यू के बीच जलते कश्मीर को लेकर सरकार का रुख साफ है कि भले ही हालात पर काबू पाने में और समय लग जाए, लेकिन प्रदर्शनकारियों के सामने नहीं झुकेंगे.
जेटली बोले- युवाओं को गुमराह कर रहा पाक
सरकार की इस रणनीति के संकेत वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 'आजतक' और 'इंडिया टुडे' से खास बातचीत में दिए. जेटली ने साफ कहा कि जो लोग हाथ में पत्थर या हथियार लेकर होते हैं, उनके साथ सहानुभूति नहीं हो सकती, क्योंकि ऐसे लोग देश के हिमायती नहीं हैं. पहले वो पत्थर फेंके तभी बात होगी. जेटली ने कहा की पाकिस्तान हथियार और पैसे देकर कश्मीर के युवाओं को गुमराह कर रहा है और इसमें उसकी मदद इस पार बैठे लोग भी कर रहे हैं. अब आतंकियों को दिखाना होगा की उनकी बंदूक का जवाब सुरक्षाबलों के पास भी है.
संविधान के दायरे में है कश्मीर का हल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही सर्वदलीय बैठक में नौजवानों से पत्थर फेंककर किताब उठाने की अपील की और सभी दलों को कश्मीर समस्या पर बातचीत का भरोसा दिलाया, लेकिन जेटली ने सरकार की हार्डलाइन इमेज को आगे करते हुए साफ़ किया की कश्मीर का हल सिर्फ संविधान के दायरे में है कही और नहीं. बातचीत हथियार फेंकने के बाद ही संभव है. देश की सुरक्षा से कोई समझौता और हिंसा करने वालों के साथ कोई रहम नहीं होगा.
संघ प्रमुख ने उठाए थे सवाल
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी ये कहकर कहीं ना कहीं सरकार की मौजूदा कश्मीर नीति पर सवाल खड़े किए है कि अटल बिहारी वाजपेयी 2 साल में कश्मीर समस्या का हल निकाल लेते, लेकिन उनके बाद आई सरकारें ऐसा नहीं कर पाई. ये बयान सिर्फ बीजेपी के सर्वे सर्वा का ही नहीं है, बल्कि सरकार और पार्टी में बैठे लोग भी इस चर्चा में लगे हैं कि आखिर सरकार की नीति है क्या? क्यों सिर्फ बयानबाज़ी से ही कश्मीर हिंसा को रोकने की कोशिश हो रही है? इन दो सालों में मोदी सरकार की पाकिस्तान नीति पर कई सवाल उठे और विपक्ष ने मोदी पर पाकिस्तान के प्रति नरमी के आरोप लगाए. शायद इसीलिए अब सरकार ऐसी कोई गलती नहीं करना चाहती.