
राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान जब गृह मंत्रालय से सवाल पूछे गए तो इन सवालों के जवाब गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और किशन रेड्डी ने दिए. ये पहली बार था जब दोनों मंत्री इस तरह प्रश्नकाल का जवाब दे रहे थे. गौरतलब है कि उस समय राज्य सभा में गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद थे, लेकिन उन्होंने मौका दोनों युवा मंत्रियों को दिया. गृह मंत्री अमित शाह के इस कदम की सभापति महोदय ने सराहना करते हुए कहा कि पहली बार प्रश्नकाल में युवा नेता जवाब दे रहे थे यह अच्छी बात है कि गृह मंत्री ने उन्हें मौका दिया. सभी सांसदों ने 29 राज्य मंत्रियों के सम्मान में मेज भी थपथपाई.
राजकुमार धूत के सवाल 125 का जवाब देते हुए नित्यानंद राय ने गुजरात कोचिंग सेंटर में लगी आग हादसे के संदर्भ में कहा कि केंद्र सरकार का काम राज्य सरकार को सचेत करना है. समय-समय पर केंद्र सरकार बकायदा राज्यों को एडवाइजरी जारी करती है कि फायर सेफ्टी के क्या मानक होने चाहिए? केंद्र ने इसमें अपना 80 प्रतिशत योगदान बढ़ाया है और अब इसका बजट लगभग 21,000 करोड़ कर दिया है. वहीं राज्य मंत्री किशन रेड्डी ने दो सवालों के जवाब दिए जिसमें देशभर में नए फॉरेंसिक लैब बनाए जाने को लेकर जानकारी मांगी गई थी.
किशन रेड्डी ने बताया कि पुणे, भोपाल और गुवाहाटी में नए लैब बनाए जा रहे हैं. बिहार के लिए कोई नया लैब बनाया जाएगा या नहीं?... इस सवाल के जवाब जब राज्य मंत्री ने कोलकाता के लैब का हवाला दिया तो अमित शाह ने उनको याद दिलाया कि कोलकाता का जोनल लैब अरब बिहार समेत आसपास के तमाम प्रदेशों के मामलों को कवर करेगा.
हालांकि अंत में एक पेचीदा मामले पर अमित शाह ने खुद जवाब देना मुनासिब समझा. जब कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया के दलितों-आदिवासियों पर हो रहे उत्पीड़न से जुड़े मामले पर गृह मंत्रालय से सवाल पूछा, 'जम्मू-कश्मीर पर आपका खास ध्यान है मेरा सवाल है कि क्या प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटी एक्ट जम्मू कश्मीर में भी लागू किया जाएगा?' तो इस सवाल का जवाब देने के लिए अमित शाह खुद खड़े हुए और उन्होंने आश्वासन दिया कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन से विचार-विमर्श करके वह इस बारे में कुछ बता सकेंगे.
गौरतलब है कि आजकल प्रश्नकाल के दौरान खुद चेयरमैन वेंकैया नायडू मौजूद रहते हैं और इस बात पर जोर होता है कि ज्यादा से ज्यादा सवाल पूरे किए जाएं. यही वजह है कि वेंकैया नायडू बार-बार मंत्रियों को भी संक्षेप में जवाब देने का आग्रह करते रहे.