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ब्रैंडेड व्हिस्की के शौकीन थे केपीएस गिल, गुजरात दंगे के बाद मोदी ने बनाया था सुरक्षा सलाहकार

1960 से 70 के दशक में तमाम वैचारिक मतभेदों के बावजूद ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (AASU) के वरिष्ठों के साथ अक्सर उन्हें व्हिस्की के पैग लगाते हुए देखा जा सकता था.

पंजाब के पूर्व डीजीपी केपीएस गिल पंजाब के पूर्व डीजीपी केपीएस गिल
नंदलाल शर्मा
  • नई दिल्ली ,
  • 26 मई 2017,
  • अपडेटेड 6:49 PM IST

सुपर कॉप के नाम से चर्चित पुलिस अधिकारी रहे कंवर पाल सिंह गिल का शुक्रवार को निधन हो गया. 82 वर्ष की अवस्था में दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. गिल के व्यक्तित्व को रेखांकित करते 15 प्वाइंट -

1. सुपरकॉप केपीएस गिल का पूरा नाम कंवर पाल सिंह गिल है. 1958 में उन्होंने 24 साल की अवस्था में भारतीय पुलिस सेवा ज्वॉइन की. गिल को असम-मेघालय काडर मिला. गिल का इस बारे में कहना था कि उन्होंने स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए असम-मेघालय काडर चुना. अगर वो अपने गृह राज्य पंजाब को चुनते तो राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से स्वतंत्र रूप से काम करना संभव नहीं हो पाता.

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2. पंजाब में आतंकवाद के खात्मे और अपनी आक्रामक नीतियों के लिए केपीएस गिल को खूब चर्चा मिली. दिलचस्प बात ये है कि असम में अपनी दशक भर की सेवा के दौरान गिल किसी एनकाउंटर का हिस्सा नहीं रहे.

3. ब्रैंडेड व्हिस्की के प्रति अपनी चाहत के लिए भी गिल खूब मशहूर रहे. 1960 से 70 के दशक में तमाम वैचारिक मतभेदों के बावजूद ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (AASU) के वरिष्ठों के साथ अक्सर उन्हें व्हिस्की के पैग लगाते हुए देखा जा सकता था.

4. असम के कामरूप जिले में उनकी कठोर नीतियों की वजह से केपीएस गिल को 'कामरूप पुलिस सुपरिटेंडेंट गिल' कहा जाता था.

5. शिलॉन्ग की प्राकृतिक खूबसूरती के मोहपाश में बंधे केपीएस गिल नॉर्थ ईस्ट के हिल टाउन में एक कॉटेज बनाना चाहते थे. हालांकि 1984 में सीमा सुरक्षा बल में तैनाती के बाद उनके लिए इस आइडिया पर आगे बढ़ना मुश्किल हो गया. बाद में नॉर्थ ईस्ट से दूरियां बढ़ने की वजह से उन्होंने शिमला में एक कॉटेज बनाया, जहां वह हर साल अपनी गर्मियां बिताते.

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6. 1988 में गृह सचिव की मेजबानी एक पार्टी का आयोजन किया गया. इस पार्टी में गिल पर एक वरिष्ठ महिला आईएएस अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगा. वह उस समय वित्त सचिव के रूप में काम कर रही थीं. मामले में 17 साल बाद गिल को दोषी ठहराया गया. मगर बाद में उनकी सजा कम कर दी गई.

7. 2008 में केपीएस गिल की अगुवाई वाले भारतीय हॉकी महासंघ में भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद भारतीय ओलंपिक संघ ने आईएचएफ को सस्पेंड कर दिया. ओलंपिक संघ के सुरेश कलमाड़ी ने तब कहा था कि केपीएस गिल के प्रति पूरा सम्मान है, लेकिन यह निजी मामला नहीं है.

8. 1989 में सिविल सर्विस में अपने योगदान के लिए केपीएस गिल को पद्मश्री से नवाजा गया.

9. 2002 के गुजरात दंगे के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने केपीएस गिल को राज्य का सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया. गिल ने हिंसा से निपटने के लिए पंजाब से 1000 अतिरिक्त विशेष प्रशिक्षित पुलिस वालों की नियुक्ति की सिफारिश की. बाद में गुजरात हिंसा पर काबू पाने के लिए गिल को पूरा क्रेडिट मिला. 3 मई 2002 को गुजरात पहुंचे गिल ने दंगे के लिए एक 'छोटे समूह' को जिम्मेदार ठहराया.

10. 2006 में नक्सलियों से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने गिल से सुरक्षा सलाहकार के तौर पर मदद मांगी. 2007 में नक्सली हमले में 55 पुलिसवाले मारे गए. इस पर गिल ने कहा कि यह मामला पुलिस बल में व्याप्त खामियों की वजह से है. सरकार की नीतियां आदिवासियों के इलाके को छोड़ देने की थी और इसकी वजह से नक्सलियों को अपना गढ़ बनाने का मौका मिला. उन्होंने कहा कि नक्सलियों को खत्म करने में समय लगेगा, लेकिन इसे जीता जा सकता है.

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11. हालांकि बहुत बाद में राजस्थान पत्रिका को दिए एक इंटरव्यू में केपीएस गिल ने बताया कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने उनसे कहा था कि तनख्वाह लो और बैठ के मजे करो.

12. केपीएस गिल फॉल्टलाइन्स नाम की पत्रिका प्रकाशित करते थे और इंस्टीट्यूट ऑफ कन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट (आईसीएम) नाम की संस्था भी चलाते थे. गिल ने 'द नाइट्स ऑफ फाल्सहुड' नामक एक किताब भी लिखी है.

13. केपीएस गिल खुलकर बोलते थे और कई बार उनके बयान विवादों को भी जन्म देते. बेअंत सिंह हत्याकांड पर प्रतिक्रिया देते हुए गिल ने एक बार कहा था कि पंजाब के राजनीतिक माहौल और विकास को जो नुकसान पहुंचा है. उसे देखते हुए बलवंत सिंह राजोआना रहम के हकदार नहीं है.

14. मार्च 2008 में भारतीय हॉकी टीम 1928 के बाद पहली बार ओलंपिक के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाई. भारतीय हॉकी महासंघ के 11 उपाध्यक्षों में से एक नरेंद्र बत्रा ने इसे असफलता करार देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

15. हॉकी टीम की असफलता के लिए बत्रा ने गिल के तानाशाही भरे रवैये को जिम्मेदार ठहराया और भारतीय हॉकी महासंघ के सभी सदस्यों को इस्तीफा देने को कहा. गिल ने पलटवार करते हुए इन लोगों को 'प्रोफेशनल विलापी' करार दिया और कहा कि हमारे पास कोई कॉफी मशीन नहीं है, जो तत्काल रिजल्ट मिल जाए.

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