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पश्चिमी यूपी के युवकों ने की कश्मीर में पत्थरबाजी? जानें सच

कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी की घटनाओं से पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कथित कनेक्शन सामने आया है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत और सहारनपुर जिलों से कुछ युवकों को सिलाई के काम के लिए 20,000 रुपए महीने के वेतन पर घाटी में बुलाया गया.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
खुशदीप सहगल/नीलांशु शुक्ला/मोनिका गुप्ता
  • बागपत/सहरानपुर,
  • 21 जून 2018,
  • अपडेटेड 5:39 PM IST

कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी की घटनाओं से पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कथित कनेक्शन सामने आया है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत और सहारनपुर जिलों से कुछ युवकों को सिलाई के काम के लिए 20,000 रुपए महीने के वेतन पर घाटी में बुलाया गया. इन युवकों में बागपत के रहने वाले अंकित का दावा है कि वहां पहले कुछ दिन तो सही रहा, फिर उनसे कहा जाता था कि मुंह पर कपड़ा बांध लो और सड़क पर जाकर सुरक्षा बलों पर पथराव करो.

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हालांकि सहारनपुर के रहने वाले बबलू ने कुछ और ही दावा किया है. बबलू का कहना है कि जनवरी में वे कुछ और युवकों के साथ कश्मीर में सिलाई का काम करने वाली कंपनी में नौकरी के लिए गया. बबलू के मुताबिक एक-डेढ़ महीने तक तो सब सही रहा और उनके घर वालों के खाते में तीस तीस हजार रुपये जमा भी कराए गए. लेकिन उसके बाद उनके साथ बुरा बर्ताव करना शुरू कर दिया गया. उनसे बंधकों की तरह साफ-सफाई और कारों की धुलाई का काम करवाया जाने. पैसे देना भी बंद कर दिया गया. विरोध करने पर धमकी दी जाने लगी कि चोरी के आरोप में फंसा दिया जाएगा. बबलू ने पत्थरबाजी के लिए दबाव की बात का खंडन किया. बबलू ने कहा कि वहां के लोगों से पत्थरबाज़ी के बारे में सुना करते थे, लेकिन खुद कभी ऐसा नहीं किया, हां ऐसी बातें सुनकर वे सब डर बहुत गए और घर वापस जाने की ठान ली.

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मेरठ के एडीजी प्रशांत कुमार, सहारनपुर के एसएसपी बबलू कुमार और बागपत के एसपी जयप्रकाश सिंह के मुताबिक कश्मीर से लौटे युवकों ने जो दावे किए हैं, उनकी जांच कराई जा रही है. जांच में जो सामने आएगा, उसी के आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी. बहरहाल, कश्मीर में पत्थरबाजी से पश्चिमी यूपी के कथित कनेक्शन से सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी हो गई हैं.

इस साल के शुरू में बागपत और सहारनपुर से कुछ युवक कश्मीर के पुलवामा के लस्तीपुरा में सिलाई-कढ़ाई का काम करने गए थे. इनके मुताबिक, उनके मास्टर को 45,000 रुपये और बाकी युवकों को 20,000 रुपये महीना वेतन देना तय किया गया था.

बागपत जिले की बड़ौत तहसील के गुराना रोड निवासी पीड़ित मास्टर नसीम और अंकित का दावा है कि वहां के बुरे हालात से निकलने के लिए उन्होंने एक स्थानीय व्यक्ति से कश्मीर से निकालने के लिए मदद मांगी जिसने बदले में दस हजार रुपए की मांग की. नसीम ने अपने घर से दस हजार रूपये मंगवाये और साथियों के साथ किसी तरह घर वापस पहुंचा. नसीम और उसके साथियों का दावा है कि उन्हें कश्मीर से धमकी भरे फोन मिल रहे है.  

हालांकि नसीम के बयानों में विरोधाभास दिख रहा है. पहले के बयानों से अलग हटकर वो कह रहा है कि उन पर कश्मीर में चोरी का आरोप लगाने की बात कही गई थी, इसी वजह से ऐसा बोल दिया. बहरहाल बागपत पुलिस इन युवकों के दावों की सच्चाई पता लगाने की कोशिश कर रही है.  

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पुलिस इस एंगल पर भी जांच कर रही है कि कहीं पैसे के लेन-देन पर विवाद के चक्कर में ही युवकों ने ऐसे बयान तो नहीं दिए. असल बात पुलिस की जांच के बाद ही सामने आएगी कि इन लोगों से पत्थरबाजी के लिए कहा जाता था या फिर पैसे के लेन देन के चक्कर में ये ऐसे आरोप लगा रहे हैं.

सहारनपुर जनपद के नानौता निवासी मोहम्मद अजीम राव, नकुड़ निवासी बबलू और पंकज, बागपत के युवकों के साथ कश्मीर के पुलवामा में लस्तीपुरा में डिवाइन इंडस्ट्रियल फर्म में सिलाई के काम के लिए गए थे.

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