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यूपी के बाढ़ग्रस्त इलाकों में डूबते गांव में भी घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं लोग

उत्तरप्रदेश के ज्यादातर बाढ़ग्रस्त इलाकों में सरकारी सहायता लेने के लिए मारामारी मची है लेकिन बाढ़ में डूबे कई गांव ऐसे हैं जहां कोई सरकारी सहायता अब तक नहीं पहुंची है. जिसके चलते लोग अपने बच्चों और औरतों के साथ न सिर्फ वहां डटे हैं बल्कि किसी सूरत में अपना गांव छोड़ना नहीं चाह रहे. दरअसल बाढ़ पीड़ितों को जान से ज्यादा, चोरी का खौफ है.

बाढ़ पीड़ित नहीं छोड़ना चाहते घर बाढ़ पीड़ित नहीं छोड़ना चाहते घर
सबा नाज़/कुमार अभिषेक
  • बलिया,
  • 24 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 10:23 AM IST

उत्तरप्रदेश के ज्यादातर बाढ़ग्रस्त इलाकों में सरकारी सहायता लेने के लिए मारामारी मची है लेकिन बाढ़ में डूबे कई गांव ऐसे हैं जहां कोई सरकारी सहायता अब तक नहीं पहुंची है. जिसके चलते लोग अपने बच्चों और औरतों के साथ न सिर्फ वहां डटे हैं बल्कि किसी सूरत में अपना गांव छोड़ना नहीं चाह रहे. दरअसल बाढ़ पीड़ितों को जान से ज्यादा, चोरी का खौफ है.

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उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के दलजीत-टोला गांव में रेस्क्यू टीम पहुंची तो थी बाढ़ पीड़ितों को बाहर निकालने लेकिन लोगों ने बाहर आने साफ मना कर दिया. पूर्वी उत्तर प्रदेश में गंगा के हर इंच बढ़ते जलस्तर के साथ जहां खतरा भी लगातार बढ़ रहा है. अगर गंगा का पानी थोड़ा और बढ़ा तो ये पूरे गांव को लील सकता है लेकिन ज्यादातर बाढ़ पीड़ित इस भयावह हालात के बावजूद घर छोड़कर कैंपों में आने को कतई तैयार नहीं है.

एनडीआरएफ की टीम जब दलजीतपुर गांव पहुंची तो वहां की महिलाओं ने रेसक्यू टीम के साथ जाने से साफ मना कर दिया. पूरे गांव में सिर्फ औरतें और बच्चे मिले जिसमें कई तो खासे बीमार थे लेकिन परिवार घर छोड़ने को तैयार नहीं. महिलाओं के मुताबिक वो अपना घर नहीं छोड़ सकती, अगर घर छोड़ा तो बचा हुआ सामान चोरी हो जाएगा और फिर सरकार उन्हें कुछ नहीं देगी. यहां उन्हें कोई सरकारी राहत नहीं पहुंची है, ना तो पौलीथीन मिला, ना ही पीने का पानी, ना ही खाने को सामान बावजूद इसके कोई परिवार बाहर नहीं निकलना चाहता. एनडीआरएफ की नावों का इस्तेमाल भी लोग सिर्फ गांव से निकलने और जाने के लिए कर रहे हैं.

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