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SoS 2018 में बोले वेंकैया नायडू- मैं संघ का प्रचारक नहीं विचारक था

भारत के विभिन्न राज्यों के आर्थिक और सामाजिक मूल्यांकन पर केंद्रित इंडिया टुडे का वार्षिक आयोजन 'स्टेट ऑफ स्टेट्स' अवॉर्ड की शुरूआत साल 2003 में हुई, इस बार यह 15वां कार्यक्रम था.

उपराष्ट्रपति वेंंकैया नायडू (फोटो-इंडिया टुडे) उपराष्ट्रपति वेंंकैया नायडू (फोटो-इंडिया टुडे)
विवेक पाठक
  • नई दिल्ली,
  • 22 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 8:20 PM IST

इंडिया टुडे 'स्टेट ऑफ स्टेट्स' अवॉर्ड सेरेमनी में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक नहीं विचारक थे, क्योंकि संघ में होने के साथ उन्हें अपने परिवार को भी देखना होता था.

दरअसल उपराष्ट्रपति के स्वागत में उनका परिचय कराते हुए इंडिया टुडे ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा ने कहा कि वेंकैया नायडू के परिचय में बहुत कुछ कहा जा सकता है, वे अपने शुरुआती दिनों में आरएसएस के प्रचारक थे, इसके साथ ही केंद्र में अहम मंत्रालयों को भी संभाला.

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इसके बाद कीनोट एड्रेस की शुरूआत करते हुए अपने चुटीले अंदाज में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि वे आरएसएस के प्रचारक नहीं विचारक थे. क्योंकि संघ से जुड़े होने साथ वे पारिवारिक भी थे और उनके ऊपर परिवार की जिम्मेदारी थी.

उपराष्ट्रपति ने इंडिया टुडे ग्रुप के 'स्टेट ऑफ स्टेट्स ' अवॉर्ड की तारीफ करते हुए कहा कि आज इसी तरह की सकारात्मक पहल की जरूरत है. देश को सिर्फ और सिर्फ विकास से मतलब है, किसी तरह के विवादों की जरूरत नहीं है. कुछ मीडिया हाउस टीआरपी की खातिर विवाद पैदा करते हैं ,लेकिन इंडिया टुडे की पहल रचनात्मक है और मीडिया से ऐसी ही उम्मीद है.

उन्होंने सवाल किया कि आज के भारत की कहानी क्या है, यह अवॉर्ड विभिन्न राज्यों द्वारा किए कार्यों को सामने लाकर इसकी कहानी बयान करता है. नेता हमेशा बुरा नहीं करते, इसका उदाहरण यह अवॉर्ड है जिसमें कई राज्यों को उनके द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए सम्मानित किया गया है.

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