
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भले ही भारी बहुमत से जीतकर सत्ता में लौटी हो, लेकिन पार्टी के कई दिग्गज नेता जो सालों तक संसद भवन में चेहरा रहे हैं. इस बार दिखाई नहीं देंगे. बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी चार बार राज्यसभा और पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे, लेकिन 2019 के चुनाव में उन्हें टिकट नहीं दिया गया.
पार्टी के सबसे बड़े और वयोवृद्ध नेता आडवाणी इस वक्त किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. बेशक वह सदन में सबसे ज्यादा हाजिर रहने वाले सदस्यों में गिने जाते रहे हों, लेकिन पिछले 5 सालों में वे बहुत ही कम सदन में बोले हैं. सदन में पहली पंक्ति में बैठने वाले आडवाणी इस बार दिखाई नहीं देंगे.
बीजेपी के दूसरे बड़े नेता मुरली मनोहर जोशी भी इस बार संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. वाजपेयी सरकार में मानव संसाधन मंत्री रहे मुरली मनोहर जोशी दशकों तक लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रहे हैं, लेकिन इस बार वह चुनाव न लड़ने के कारण सदन में दिखाई नहीं देंगे.
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी दशकों तक लोकसभा और राज्यसभा में पार्टी और सरकार का प्रमुख चेहरा रही हैं. 6 बार सांसद रहीं सुषमा स्वराज 2014 से 2019 के बीच विदेश मंत्री रही हैं. उससे पहले वह विपक्ष की नेता और सूचना और प्रसारण मंत्री भी रही हैं. संसद में प्रखर वक्ता के रूप में जानी जाती रही हैं. सुषमा स्वराज भी 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ीं. किसी भी सदन की सदस्य न होने के कारण संसद में सुषमा स्वराज दिखाई नहीं देंगी.
आठ बार लोकसभा सांसद रहीं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी इस बार चुनाव न लड़ने के कारण संसद में दिखाई नहीं देंगी. सुमित्रा महाजन 2014 से 2019 तक लोकसभा स्पीकर रही हैं. इसके साथ-साथ उमा भारती ने भी लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा था. फायर ब्रांड नेता उमा भारती 2014 से 2019 में केंद्र में मंत्री भी रही हैं.
उधर कांग्रेस के भी दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे लोकसभा का चुनाव हार गए. लोकसभा में कांग्रेस की आवाज मल्लिकार्जुन खड़गे भी किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. कर्नाटक से आने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे लोकसभा में कांग्रेस के नेता के तौर पर प्रखर रहे हैं. मल्लिकार्जुन खड़गे 9 बार विधानसभा और दो बार सांसद रहे हैं. लोकसभा में कांग्रेस की आवाज रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इस बार संसद में दिखाई नहीं देंगे. वह अपनी परंपरागत सीट गुना से चुनाव हार गए.
कांग्रेस का सबसे बड़ा नाम और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह करीब 28 साल बाद संसद में नहीं दिखाई देंगे. उनका कार्यकाल खत्म हो चुका है और वह कहीं से चुनकर नहीं आए हैं. हालांकि, उन्होंने कोई लोकसभा का चुनाव तो नहीं लड़ा, लेकिन 28 साल तक राज्यसभा में पार्टी का चेहरा रहे हैं. आर्थिक मुद्दों पर पार्टी की तरफ से अक्सर बोलते रहे हैं. नोटबंदी के दौरान भी मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार के फैसले पर सवाल उठाए थे.
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा भी इस बार लोकसभा का चुनाव हारने के कारण संसद में दिखाई नहीं देंगे. पूर्व प्रधानमंत्री होने के नाते उनको भी अगली पंक्तियों में जगह दी गई थी. सदन में होने वाली डिबेट में वे अक्सर भाग लिया करते थे.