
आजकल राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग विश्व हिंदू परिषद के निशाने पर है. विहिप ने अल्पसंख्यक आयोग को भंग करने या बहुसंख्यक आयोग भी बनाने की मांग की है. विश्व हिंदू परिषद के महासचिव डॉक्टर सुरेंद्र जैन ने आयोग के अध्यक्ष गेरुल हसन रिजवी पर अलगावादियों के एजेंडे को लागू करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि वे मुस्लिम समाज में अलगाव की भावना को मजबूत कर रहे हैं.
उनके मुताबिक रिजवी ने मुस्लिम समाज के लिए एक हेल्पलाइन जारी करने के निर्णय की जानकारी देते समय कहा कि अगर मुस्लिम समाज को कोई सता रहा है तो वे तुरंत इस पर फोन करें. इससे यह प्रकट होता है कि भारत में मुस्लिम समाज को इतना सताया जा रहा है कि इस कदम की जरूरत पड़ गई. सुरेन्द्र जैन ने कहा कि पाकिस्तान और अलगाववादी इसी तर्क का प्रयोग कर अपनी भारत विरोधी गतिविधियों को उचित ठहराते हैं. अब उनको अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के रूप में एक और वकील फ्री में मिल गया है.
विश्व हिंदू परिषद ने एक बयान में कहा है कि पूरे विश्व का घटनाचक्र इस बात का सबूत है कि मुसलमानों को जितने अधिकार भारत में हैं उतने किसी मुस्लिम देश में भी नहीं हैं. इसके बावजूद, जेहादी तत्व हमेशा असंतोष पैदा करके वैमनस्य फैलाते रहते हैं. अल्पसंख्यक आयोग भी इस काम को करके अल्पसंख्यकवाद और अलगाव को मजबूत कर रहा है.
सुरेंद्र जैन ने कहा कि देश अल्पसंख्यक आयोग से जानना चाहता है कि भारत में मुस्लिम समाज पीड़ित है या अत्याचारी? इस पर इनको एक विस्तृत बयान जारी करना चाहिए. विहिप उनको इस विषय पर खुली बहस की चुनौती देता है. विश्व हिंदू परिषद ने आरोप लगाया है कि जिस समय वे हेल्पलाइन की सूचना दे रहे थे, उसी समय बिजनौर में कुछ मुस्लिम, हिन्दू लड़कियों के साथ छेड़खानी कर रहे थे. उन्हें रोकने पर उनके साथियों ने आकर हिन्दू समाज पर हमला बोल दिया. ऐसी घटनाएं मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में आम तौर पर होती रहती हैं.
इंडिया-पाकिस्तान मैच का जिक्र करते हुए विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि क्रिकेट में पाकिस्तान द्वारा भारत को हराने पर कश्मीर घाटी और बंगाल समेत कई स्थानों पर पाक के झंडे लहराए गए तथा हिन्दू समाज पर हमले किये गए. अत्याचार करने वालों को पीड़ित दिखाकर, वे इनकी इस मुगलिया प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रहे हैं. यह केवल पाकिस्तान में होता है. जहां हिन्दुओं को मारने वालों को पुरस्कृत किया जाता है. क्या वे भारत को पाकिस्तान बनाना चाहते हैं?
सुरेंद्र जैन का यह भी कहना है कि अल्पसंख्यक आयोग की अवधारणा ही अलगाववादी मानसिकता को पुष्ट करती है, क्या देश के सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए मानवाधिकार आयोग पर्याप्त नहीं है? उसको अधिक अधिकार देकर अल्पसंख्यक आयोग समाप्त कर देना चाहिए. अगर किसी कारण यह नहीं हो सकता तो, अविलम्ब राष्ट्रीय बहुसंख्यक आयोग की स्थापना भी करनी चाहिए, जो बहुसंख्यक समाज के भी अधिकारों की रक्षा कर सके. देश में उनके अधिकारों का ही हनन हो रहा है. अल्संख्यक आयोग ने भी गौरक्षा के बारे में अनावश्यक टिप्पणी की किन्तु, गौहत्यारों और बीफ पार्टियों के बारे में कुछ नहीं बोला. इससे हिन्दुओं की भावनाएं आहत हुई हैं.