Advertisement

आज के माहौल में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को जीवित रखना बड़ी चुनौती: हामिद अंसारी

उन्होंने कहा कि "समानता को धरातल पर वास्तविक अर्थो में उतारने पर जोर देना और अपने सामूहिक आयामों के साथ धार्मिक स्वतंत्रता का फिर से संचार करना भी मुख्य चुनौतियों में है. और भारतीय समाज की धरातलीय सच्चाई में सहिष्णुता झलकनी चाहिए

एक कार्यक्रम में बोले हामिद अंसारी एक कार्यक्रम में बोले हामिद अंसारी
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 2:53 PM IST

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान देश के माहौल पर चिंता जताई. नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी के 25वें दीक्षांत समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज धर्मनिरपेतक्षता के मूल सिद्धांतों ने दोहराना जाना और इसे पुनर्जीवित करना सबसे बड़ी चुनौती है.

उन्होंने कहा कि समानता को धरातल पर वास्तविक अर्थो में उतारने पर जोर देना और अपने सामूहिक आयामों के साथ धार्मिक स्वतंत्रता का फिर से संचार करना भी मुख्य चुनौतियों में है. और भारतीय समाज की धरातलीय सच्चाई में सहिष्णुता झलकनी चाहिए और इसे स्वीकार्य बनाया जाना चाहिए.

Advertisement

उपराष्ट्रपति ने कहा कि यद्यपि सहिष्णुता समावेशी और बहुलवादी समाज की स्थापना का अकेला मजबूत आधार नहीं बन सकता. इसके साथ समझ और स्वीकार्यता को भी शामिल करना होगा. स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि हमें न सिर्फ दूसरे धर्मो के प्रति सहिष्णु होना चाहिए, बल्कि उन्हें सकारात्मकता के साथ अंगीकार करना चाहिए, क्योंकि सभी धर्मो का आधार सच्चाई ही है."

अंसारी ने कहा कि सांस्कृतिक प्रतिबद्धताओं को अपने मूल में जगह देने वाले 'राष्ट्रवाद के स्वरूप' को अमूमन सबसे रूढ़ीवादी एवं अनुदारवादी राष्ट्रवाद माना जाता है, जो असहिष्णुता और दंभी देशभक्ति को बढ़ावा देता है.

आपको बता दें उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल 10 अगस्त को खत्म हो रहा है. 11 अगस्त को नए उपराष्ट्रपति के रूप में वेंकैया नायडू शपथ लेंगे. वेंकैया नायडू ने उपराष्ट्रपति चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी गोपाल कृष्ण गांधी को बड़े अंतर से हराया था.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement