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उपराष्ट्रपति ने पढ़ाया देशभक्ति का पाठ, कहा- भारत माता की जय ही राष्ट्रवाद नहीं होता

उप राष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने कहा है कि राष्ट्रवाद का मतलब भारत माता की जय या जय हो नहीं होता है. सबकी जय हो, यही देशभक्ति है. अगर आप धर्म, जाति, शहर और गांव के आधार से लोगों से भेदभाव करेंगे तो आप वास्तव में भारत माता की जय नहीं बोल रहे हैं.

उप राष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू (ANI) उप राष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू (ANI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 9:36 AM IST

राजनीतिक दल आजकल एक-दूसरे पर राष्ट्रवाद को लेकर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हमले और पाकिस्तान के बालाकोट में भारत के एयर स्ट्राइक के बाद इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप का दौर और तेज हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषण की शुरुआत भारत माता की जय से करते हैं, वहीं कांग्रेस भी इसी राह पर है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी भाषण खत्म करते हुए जय हिंद बोल रहे हैं.

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इसी बीच, उप राष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने कहा है कि राष्ट्रवाद का मतलब भारत माता की जय या जय हो नहीं होता है. सबकी जय हो, यही देशभक्ति है. अगर आप धर्म, जाति, शहर और गांव के आधार से लोगों से भेदभाव करेंगे तो आप वास्तव में भारत माता की जय नहीं बोल रहे हैं.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को बदले जाने की जरूरत है. यह लंबे समय से अटका हुआ एक काम है. हमें औपनिवेशिक मानसिकता को पूरी तरह से खत्म किए जाने की जरूरत है और असली इतिहास, प्राचीन सभ्यता, संस्कृति और विरासत के बारे में पढ़ाए जाने की जरूरत है और छात्रों में राष्ट्रवाद के मूल्य स्थापित किए जाने की जरूरत है.

उप राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे लिए बहुत सारे अवसर हैं जो इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि युवाओं को इस अवसर का फायदा उठाना चाहिए और भय, भ्रष्टाचार, भूख, भेदभाव, अशिक्षा, गरीबी, जाति भेद और शहरी-ग्रामीण विभाजन से मुक्त एक नए भारत के निर्माण का प्रयास करना चाहिए.

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राष्ट्रवाद पर तकरार

राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पालयट ने शनिवार को बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में वोट हासिल करने के लिए वास्तविक मुद्दों से जनता का ध्यान भटका रही है. उन्होंने कहा, बीजेपी मुद्दे को भटकाने की कोशिश लगातार कर रही है. किसी बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश करना और राष्ट्रवाद को दुबारा परिभाषित करना. जज्बाती मुद्दों को तूल देना. वह महंगाई, भ्रष्टाचार, रोजगार और किसानों की समस्याओं जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है.

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