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खेल मंत्री विजय गोयल बोले- PAK के साथ खेलने नहीं खेलने का फैसला फेडरेशन का

पाकिस्तान के साथ सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच तमाम लोगों की ओर से पाकिस्तान के साथ खेल संबंधों को खत्म करने की मांग भी तेज हो रही है. ऐसे में क्या कहना है खेल मंत्री विजय गोयल का आज तक ने की खास बातचीत.

खेल मंत्री विजय गोयल खेल मंत्री विजय गोयल
अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 19 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 8:20 PM IST

पाकिस्तान के साथ सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच तमाम लोगों की ओर से पाकिस्तान के साथ खेल संबंधों को खत्म करने की मांग भी तेज हो रही है. ऐसे में क्या कहना है खेल मंत्री विजय गोयल का आज तक ने की खास बातचीत.

पाकिस्तान के साथ हॉकी खेलने को लेकर फैसला फेडरेशन का- विजय गोयल
एशियन चैंपियनशिप टॉफी में शनिवार को भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले हॉकी मैच के बारे में मंत्री विजय गोयल का कहना है जाहिर है जब तनाव होता है दोनों देशों के बीच तो उसने कई बार यह संभव नहीं होता. सब डिपेंड करता है कि कैसा कब क्या माहौल है हमारे सामने. जिस पर फैसला करना है. पाकिस्तान के साथ गेम खेलना चाहिए नहीं खेलना चाहिए. इसके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता. क्योंकि कब टूर्नामेंट होगा, कब मैच होगा. इस पर डिपेंड करता है.

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विजय गोयल का यह भी कहना है कि इमिडिएटली तो हम नहीं कह सकते हैं कि हमारे सामने मैच है. एक बात समझ लीजिए जब टीमें पार्टिसिपेट कर रही हैं टूर्नामेंट में और अगर चार टीमें क्वालीफाई कर गई हैं. अगर उसमें भारत की है और पाकिस्तान भी है तो जाहिर तौर पर अगर आप नहीं खेलेंगे तो उसमें से आप को बाहर आना पड़ेगा तो थोड़ा मुश्किल हो जाता है. अगर वन-टू-वन है आप उसमें जरूर निर्णय कर सकते हैं कि आपको खेलना है या नहीं खेलना है.

पाकिस्तान के साथ खेलने के बारे में विजय गोयल का कहना है कि यह सिर्फ हमारी मंत्रालय का नहीं है. यह फेडरेशन का मामला है. यह उनको डिसाइड करना है जब भी हम किसी विदेशी टीम के साथ खेलते हैं तो उसमें विदेश मंत्रालय, होम मिनिस्ट्री और दूसरी कंसर्न मिनिस्ट्री तीनों शामिल होती हैं और सब मिलकर ही निर्णय करते हैं. अकेले नहीं फैसला होता.

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पाकिस्तानी कलाकारों के फिल्मों में काम करने के बारे में विजय गोयल का कहना है कि जिस तरह से देश के अंदर माहौल ऐसा है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को खत्म नहीं करता है. तब तक पाकिस्तान के साथ रिश्ते नहीं रह सकते हैं. ऐसे में उनके साथ किसी प्रकार की सांस्कृतिक आदान-प्रदान नहीं होता. ऐसा ही चलता रहा तो जाहिर तौर पर यह सब चीजें भी तो मुश्किल हो जाती हैं.

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