
क्या भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी–मार्क्सवादी (CPM) भगवा ब्रिगेड के सामने घबराहट और हताशा में है? क्या इसीलिए सीपीएम के नेता केरल के अपने आखिरी गढ़ को बचाने के लिए हिंदुत्व की लाइन पकड़ रहे हैं? तिकड़मों का सहारा ले रहे हैं?
सोशल मीडिया पर इन दिनों सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी की तस्वीरें वायरल हो रही हैं. इन तस्वीरों में येचुरी सिर पर मिट्टी का बर्तन और फूलों का गमला लिए दिखाई दे रहे हैं.
बीजेपी और आरएसएस समर्थकों ने सोशल मीडिया पर येचुरी की इन तस्वीरों के साथ कटाक्षों की झड़ी लगा दी कि सीपीएम नेता हिंदू वोटरों को लुभाने के लिए ये सब कर रहे हैं. ऐसी प्रतिक्रियाएं भी दी गई कि सीपीएम की ओर से ‘हिंदू सभ्यता के बढ़ते रूझान’ को स्वीकार करना है.
बीजेपी विचारक एस गुरुमूर्ति ने येचुरी की तस्वीर को री-ट्वीट करते हुए सवाल किया- ‘क्या धर्मनिरपेक्ष, उदारवादी, नास्तिक और हिंदू बुद्धिजीवी इस पर जवाब देंगे?’
सीपीएम ने इस प्रकरण में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. हालांकि पार्टी सूत्रों ने इस तरह के आक्षेपों को बेतुका बताते हुए खारिज किया है. वहीं सोशल मीडिया पर येचुरी को निशाना बनाना जारी रहा.
इंडिया टुडे फैक्ट चेक टीम ने इन तस्वीरों की सच्चाई जानने की कोशिश की. येचुरी से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. सीपीएम के हैदराबाद और दिल्ली स्थित दफ्तरों के मुताबिक येचुरी पार्टी के अन्य नेताओं के साथ 15 जुलाई को हैदराबाद में बहुजन लेफ्ट फ्रंट (बीएलएफ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए गए थे. बीएलएफ 28 पार्टियों का नया मोर्चा है. हैदराबाद में एयरपोर्ट और फिर बैठक स्थल पर येचुरी का भव्य स्वागत किया गया.
उसी मौके की तस्वीरें खींचने वाले इंडो एशियन न्यूज सर्विस (IANS) के फोटोग्राफर से हमने बात की. फोटोग्राफर के मुताबिक ये बोनालु हिंदू उत्सव माह की शुरुआत थी. कुछ महिला कार्यकर्ताओं ने येचुरी के सिर पर मिट्टी का बर्तन रख कर पारंपरिक तरीके से स्वागत किया.
बोनालु हिंदू उत्सव है जिसमें देवी महाकाली की पूजा की जाती है. बोनालु रिवाज के मुताबिक महिलाएं महाकाली की पूजा के लिए मिट्टी या कांसे के बर्तन में पक्के चावल, दूध और गुड़ लेकर जाती हैं.
चश्मदीद और स्थानीय फोटोग्राफरों के मुताबिक महिलाओं के आग्रह पर येचुरी ने फूलों का गमला सिर पर रख लिया. येचुरी ने बोनालु उत्सव में ना तो हिस्सा लिया और ना ही बीएलएफ की ओर से इसका आयोजन किया गया था.
सीपीएम नेता अतुल अनजान ने इंडिया टुडे से कहा, ‘आरएसएस शुरू से ही कम्युनिस्टों पर धर्मविरोधी होने का आरोप लगाते रहे हैं...ये हमारी छवि खराब करने के लिए है...ये उनकी मुहिम है क्योंकि उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया था.’
फैक्ट चेक टीम की जांच से साफ हुआ कि तस्वीरें सही हैं और येचुरी ने वास्तव में सिर पर मिट्टी के बर्तन को रखा था. लेकिन वो हैदराबाद में राजनीतिक पार्टी के कार्यक्रम में हिस्सा लेने गए थे और उन्होंने किसी मंदिर की किसी धार्मिक गतिविधि में हिस्सा नहीं लिया.