
अभी बारिश के कारण भले ही हर ओर बाढ़ की चर्चा है, लेकिन कुछ दिन पहले तक देश में कई जगहों पर पानी की भारी किल्लत थी जिसमें चेन्नई का नाम सबसे ऊपर रहा. चेन्नई में पानी की किल्लत इस कदर थी कि होटल और रेस्टोरेंट को बंद करना पड़ा. कंपनियों को कर्मचारियों को अपने घर से ही काम करने को कहना पड़ा. खबरें यहां तक आईं कि शहर में पानी बचाने को लेकर साबुन और शैम्पू के इस्तेमाल पर रोक लगाने के साथ ही रोज-रोज नहाने पर रोक लगा दी गई.
कई शोध के मुताबिक जल संकट का सामना करने वाले शहरों में ज्यादातर शहर नदियों के किनारे बसे हैं और यहां की आबादी बहुत ज्यादा है और नदियों के पानी का प्रयोग जरूरत से ज्यादा किया गया. बेतरतीब तरीके से इस्तेमाल के कारण नदियों और जलाशयों की स्थिति बिगड़ गई. संयुक्त राष्ट्र कहता है कि 2025 तक दुनिया की 1.8 अरब आबादी भारी जल संकट का सामना कर रही होगी. चेन्नई, बेंगलुरु और कोलकाता जैसे शहरों में जलस्रोत लगातार सूख रहे हैं और स्थिति भयावह होती जा रही है.
वर्ल्ड बैंक के अनुसार जल संकट की स्थिति तब होती है जब पानी की सालाना सप्लाई प्रति व्यक्ति 1700 क्यूबिक मीटर से कम हो जाती है. आइए, एक नजर डालते हैं दुनिया के उन 10 शहरों के बारे में जो पानी की समस्या से लगातार जूझ रहे हैं और उन शहरों की लाइफस्टाइल कैसी हो गई है.
केपटाउन, दक्षिण अफ्रीका
अफ्रीकी शहर केपटाउन पानी की किल्लत के कारण पिछले 2 सालों (2017-18) में बेहद चर्चा में रहा. पिछले साल शहर के एक बांध की पानी की क्षमता 13.5 फीसदी तक कम हो गई और वहां पानी की काफी कमी हो गई. इस कारण शहर की 40 लाख की आबादी को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ा. पिछले साल जनवरी को प्रशासन ने ऐलान किया कि शहर सूखे की कगार पर पहुंच गया है. प्रशासन को बारिश के पानी और अन्य तरह से उपलब्ध हो रहे पानी के संरक्षण का प्रयास करना पड़ा. अभी इसमें कामयाबी नहीं मिली है, लेकिन बांध में करीब 50 फीसदी पानी ही उपलब्ध है, सूखे की स्थिति अभी भी बनी हुई है.
मैक्सिको सिटी, मैक्सिको
मैक्सिको की राजधानी मैक्सिको सिटी भी उन शहरों में शामिल है जो लंबे समय से पानी की किल्लत का सामना कर रहे हैं. शहर का ज्यादातर पानी अंडरग्राउंड टंकियों में स्टोर किया जाता है. पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए शहर को पंप के भरोसे रहना पड़ता है. 2.1 करोड़ की आबादी वाले शहर को हर हफ्ते कुछ ही घंटे पानी भरने के लिए मिलता है. शहर में जल वितरण के लिए लगाए गए पाइप की क्वालिटी काफी खराब है जिस कारण कुल सप्लाई का 40 फीसदी पानी बर्बाद हो जाता है.
काहिरा, मिस्र
ऐतिहासिक शहर काहिरा भी जल संकट का सामना करने वाले दुनिया के प्रमुख शहरों में शामिल है. नील नदी से न सिर्फ इस शहर को पानी मिलता है बल्कि पूरे देश का 97 फीसदी पानी इसी नदी से आता है. लेकिन बेहिसाब बढ़ती आबादी और खेती के कारण यहां पर जल संकट बढ़ता चला गया. कूड़े-कचरे के निस्तारण की खराब व्यवस्था और बढ़ती आबादी के कारण नील नदी पर दबाव बढ़ा जिससे उस पर भी संकट बनने लगा. संयुक्त राष्ट्र का आकलन है कि 2025 तक मिस्र में भारी जल संकट की स्थिति हो जाएगी.
टोक्यो, जापान
जापान की राजधानी टोक्यो भी जल संकट का सामना करने वाले प्रमुख शहरों में शामिल है. अगले साल ओलंपिक की मेजबानी करने जा रहा टोक्यो शहर इन दिनों भीषण गरमी का सामना कर रहा है. टोक्यो को हर साल 'रेनी सिटी' के नाम से मशहूर अमेरिकी शहर सिएटल के बराबर पानी मिलता है, लेकिन यह महज 4 महीनों के लिए होता है. बारिश के पानी को संरक्षित करके नहीं रखा गया तो शहर को पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है. पानी की समस्या को दूर करने के लिए शहर के 750 सार्वजनिक और निजी इमारतों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग (जल संरक्षण) व्यवस्था की गई. 3 करोड़ से ज्यादा लोगों वाले इस शहर के 70 फीसदी लोग पीने के पानी के लिए नदी, झील या पिघले बर्फ पर निर्भर रहते हैं. पाइपलाइन की व्यवस्था शुरू करने के कारण यहां पर पानी की बर्बादी को महज 3 फीसदी तक रोकने का लक्ष्य रखा गया है. शहर को 1960 के बाद हर दशक में कम के कम एक बार पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है.
जकार्ता, इंडोनेशिया
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में भी जल संकट बड़ी समस्या के रूप में है. न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक देश 70 फीसदी से ज्यादा जलस्रोत प्रदूषित हैं. राजधानी जकार्ता की आधी से कम जनता के लिए पाइपलाइन से पानी की सुविधा है. यह शहर दुनिया के उन शहरों में शामिल है जहां का समुद्री स्तर तेजी से कम होता जा रहा है. हर साल यहां का जलस्तर 7 से 20 सेंटीमीटर घटता जा रहा है.
साओ पालो, ब्राजील
ब्राजील की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले साओ पालो में भी जल संकट की स्थिति बनी हुई है. 2 करोड़ से अधिक की आबादी वाले शहर की स्थिति केपटाउन जैसी हो गई है. बढ़ते सूखे के कारण वहां महज 20 दिनों की पानी की सप्लाई हो रही थी. इसके अलावा ट्रकों के जरिए एक जगह से दूसरी जगह पानी पहुंचाया जाता है जिसके लिए सुरक्षा के भारी इंतजाम भी किए जाते हैं. 2014 में भयंकर सूखा पड़ा जिस कारण जल की क्षमता 3 फीसदी तक गिर गई. लेकिन अमेजन के जंगलों की अंधाधुंध कटाई और 31 फीसदी पानी के बर्बाद होने के कारण समस्या बढ़ती चली गई और अब यहां पर जल संकट की स्थिति बनी हुई है.
बीजिंग, चीन
ग्रीनपीस ईस्ट एशिया की रिपोर्ट के अनुसार 2017 में चीन की राजधानी बीजिंग में 40 फीसदी पानी प्रदूषित हो चुका है. साथ ही इस शहर का जलस्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है जिससे शहर हर साल 4 इंच के हिसाब से डूब रहा है. जल के लगातार निकासी के कारण जलस्तर कम होता जा रहा है. यहां पर भारी मात्रा में पानी प्रोजेक्ट्स में लगाने के लिए इधर से उधर भेजने में खर्च हो जा रहा है. दुनिया की आबादी का 20 फीसदी हिस्सा चीन में है जबकि कुल मौजूद मीठे पानी का मात्र 7 फीसदी हिस्सा ही यहां पर उपलब्ध है. एक शोध के मुताबिक 2000 से 2009 के बीच शहर में जल संसाधनों की क्षमता 13 फीसदी तक की कमी आई है.
मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया के सबसे चर्चित शहर मेलबर्न भी पानी की समस्या का सामना कर रहा है. मेलबर्न ने सदियों बाद पिछले दशक में इस तरह के जल संकट का सामना किया. ऑस्ट्रेलियाई इतिहास में 1997 से 2009 के बीच खतरनाक स्तर का सूखा पड़ा. शहर के बड़े हिस्से में जंगल खत्म होने के कारण शहर को जल संकट से जूझना पड़ा. जंगल काटे जाने के कारण जलस्तर गिरता चला गया और वहां सूखे की स्थिति पैदा हो गई.
लंदन, इंग्लैंड
इंग्लैंड की राजधानी लंदन जिसे बारिश के शहर के रूप में जाना जाता है, आज इसे भी भारी जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. लंदन में सालाना 600 मिलीमीटर तक बारिश होती है जो कि पेरिस और न्यूयॉर्क से कम है. शहर की जरूरत का 80 फीसदी पानी नदियों से आता है. क्लाइमेट चेंज होने के कारण सैकड़ों पाइप फट गए जिससे इंफ्रास्टक्चर कमजोर पड़ गया. शहर की आबादी तेजी से बढ़ने के कारण यहां पर पानी की मांग बढ़ती चली गई जिससे जलस्तर गिरता चला गया. स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि शहर में आबादी काफी बढ़ गई है और 2025 तक यहां पर पानी का संकट बढ़ जाएगा. साथ ही अगले 2 दशकों (2040 तक) में स्थिति विस्फोटक हो जाएगी.
बेंगलुरु, भारत
भारत में सिर्फ चेन्नई ही बल्कि कई और शहर हैं जहां पर जल संकट विकराल रूप में जल्द ही सामने आने वाला है. कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में भी पानी की कमी इस कदर है कि वहां इमारतों को बनाने के लिए पानी की उपलब्धता नहीं है. शहर में पुराने पड़ चुके पानी के पाइपों को मरम्मत किए जाने की जरूरत है. सरकारी रिपोर्ट के अनुसार शहर में पीने के पानी का आधे से अधिक इन्हीं पाइपों से निकलकर बर्बाद हो जाता है. शहर की झीलों का पानी भी प्रदूषित हो चुका है और इसमें से 85 फीसदी पानी केवल सिंचाई या अन्य काम करने लायक बचा है, लेकिन यह पानी पीने लायक नहीं है. यहां तक कोलकाता में भी जलसंकट की स्थिति बेहद गंभीर है.