
टीएमसी के 12 सांसदों का डेलीगेशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला. ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था खत. गृह मंत्रालय का जवाब नाम बदलना सम्भव नहीं.
पश्चिम बंगाल का नाम बदलने को लेकर टीएमसी के 12 सांसदों का डेलीगेशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिला. दो हफ्ते पहले टीएमसी ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर मिलने के लिए समय मांगा था. लगभग आधे घंटे की बैठक में पश्चिम बंगाल का नाम बदल कर बांग्ला रखने की मांग की गई
लगभग आधे घंटे चली इस मीटिंग में पश्चिम बंगाल का नाम बदल के 'बांग्ला' रखने की मांग हुई. टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन के मुताबिक पहले से ही पश्चिम बंगाल की सीएम केंद्र सरकार को इस बारे में कई बार 2011 से 2019 तक लिख चुकी है. जुलाई में ही गृह मंत्रालय ने सदन की बैठक में जवाब में कहा था की नाम बदलना सम्भव नहीं क्योंकि इसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत है.
वहीं तृणमूल का कहना की ये टालने वाली बात हो गई क्योंकि उसको भी पता है कि ओडीशा की ही तरह इसके लिए संशोधन करना होगा. अब पार्टी चाहती है इसी सत्र में या फिर अगले सत्र में इस संशोधन को लाया जाए. दरअसल बंगाल विधानसभा में पहले से सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हो चुका है. सांसदों ने पीएसयू डिसइन्वेस्टमेंट का मुद्दा भी पीएम के समक्ष रखा.
बता दें पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर बांग्ला करने को लेकर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. उन्होंने पीएम मोदी से मांग की कि संसद के मॉनसून सत्र में ही पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर बांग्ला किया जाए. ममता ने पत्र में लिखा कि बंगाल के लोगों की लंबे समय से ये इच्छा रही है और नाम बदलने को लेकर संविधान के अनुसार काम करना चाहिए.
जानकारी के मुताबिक ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को ये लेटर तब लिखा है जब गृह मंत्रालय की ओर से उनकी ये मांग ठुकरा दी गई थी. 26 जुलाई 2018 को पश्चिम बंगाल विधानसभा ने राज्य का नाम बांग्ला करने का प्रस्ताव पास किया था. इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय के पास भेजा गया था. पश्चिम बंगाल का नाम 'बांग्ला' रखने की मांग को नरेंद्र मोदी सरकार ने ठुकरा दिया था.