
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करेंगे. यह प्रोजेक्ट पिछले 15 साल से लटका हुआ था. इसके पीछे भूमि अधिग्रहण और मुआवजे जैसे मुद्दे अहम कारण रहे. एक्प्रेसवे का 53 किलोमीटर हिस्सा पहले से चालू है, लेकिन सोमवार को पूरी सड़क का उद्घाटन होने के बाद कुल 136 किलोमीटर लंबे रूट पर ट्रैफिक शुरू हो जाएगा.
इस एक्सप्रेसवे को 2009 में ही पूरा होना था लेकिन कई डेडलाइन पार होती गई और निर्माण का काम लटकता रहा. आईए जानें एक्सप्रेसवे निर्माण की पूरी टाइमलाइन.
-दिल्ली वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे का प्रस्ताव 2003 में किया गया.
-2005 में प्रोजेक्ट का काम केएमपी एक्स्प्रेसवे लिमिटेड को दिया गया. शुरू में पूरे प्रोजेक्ट की लागत 1915 करोड़ रुपए थी.
-2005 में एचएसआईआईडीसी और केएमपी एक्सप्रेसवे के बीच समझौते के मुताबिक प्रोजेक्ट 2009 में पूरा होना था.
-प्रोजेक्ट शुरुआती डेडलाइन पार कर गया और आगे कई डेडलाइन मिलती गई.
-जून 2012 में हरियाणा सरकार, दिल्ली सरकार और प्रोजेक्ट निर्माण कंपनी के बीच एक बैठक हुई और एक्सप्रेसवे का काम मई 2013 तक पूरा करने पर सहमति बनी.
-निर्माण में देरी के कारण एचएसआईआईडीसी ने अप्रैल 2012 में कंस्ट्रक्शन कंपनी पर जुर्माना लगाने का सोचा. कंपनी इसके खिलाफ कोर्ट पहुंची और निर्माण का काम लटक गया.
-केएमपी एक्सप्रेसवे लिमिटेड के कर्जदार बैंक आईडीबीआई ने कंपनी को काम में ढिलाई और गड़बड़ी पर नोटिस जारी किया.
-तब हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी. उसने भी केएमपी कंस्ट्रकशन्स को दोषी मानते हुए उसका ठेका रद्द कर दिया. टरमिनेशन पेमेंट के रूप में केएमपी को 1300 करोड़ रुपए मिले.
-साल 2014 में प्रोजेक्ट फिर शुरू किया गया और इसे 4 से 6 लेन बनाने का फैसला लिया गया.
-5 अप्रैल 2016 को मनेसर और पलवल के बीच 53 किलोमीटर लंबे रूट को लोगों के लिए खोल दिया गया.
-नवंबर 2018 में यह एक्सप्रेसवे पूरी तरह खुलने जा रहा है.