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गोवा में हुए ब्रिक्स सम्मेलन से भारत को क्या हासिल हुआ?

गोवा में 15-16 अक्टूबर को हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत के लिए आतंकवाद का मुद्दा अहम रहा. उरी हमले के बाद भारत ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान को झटका दिया था. अब ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई. आइए, देखते हैं, इस सम्मेलन से भारत को क्या हासिल हुआ...

ब्रिक्स में आतंक का मुद्दा रहा अहम ब्रिक्स में आतंक का मुद्दा रहा अहम
सबा नाज़
  • नई दिल्ली,
  • 17 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 11:53 PM IST

गोवा में 15-16 अक्टूबर को हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत के लिए आतंकवाद का मुद्दा अहम रहा. उरी हमले के बाद भारत ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान को झटका दिया था. अब ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई. आइए, देखते हैं, इस सम्मेलन से भारत को क्या हासिल हुआ...

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आतंकवाद:
दशकों से आतंकवाद की मार झेल रहे भारत को ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान इस मसले पर एकराय बनाने में कामयाबी मिली है. यह सम्मेलन उरी में हुए आतंकी हमले के महीने भर के भीतर हुआ. भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान स्थ‍ित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद को जिम्मेदार ठहराया है और इस मसले को लेकर पाकिस्तान को कूटनीतिक तौर पर अलग-थलग करने के लिए अभियान चलाया.

ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने आतंकवाद को पूरी दुनिया के लिए खतरा बताते हुए इससे कड़ाई से निपटने पर जोर दिया. मोदी ने ब्रिक्स के मंच से पाकिस्तान पर जोरदार निशाना साधते हुए उसे आतंकवाद की जन्मभूमि करार दिया. मोदी ने कहा, '

ब्रिक्स सम्मेलन के घोषणापत्र में आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा की गई और कहा गया कि यह उन देश की सरकारों की जिम्मेदारी है कि अपनी जमीन से किसी तरह की आतंकवादी गतिविधियों को रोकें. ब्रिक्स के संदेश में आईएआईएस जैसे संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित संगठनों का बार-बार जिक्र किया गया.

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डिफेंस:
ब्रिक्स सम्मेलन से पहले भारत और रूस के बीच 16 अहम समझौतों पर दस्तखत हुए. भारत और रूस के बीच 200 कामोव हेलीकॉप्टरों के संयुक्त उत्पादन के लिए करार पर दस्तखत हुए. इसके अलावा चार नौसैनिक फ्रिगेट और पांच S-400 सुपरसोनिक एयर डिफेंस सिस्टम की खरीदारी के लिए करार पर भी दस्तखत किए गए.

ऊर्जा सहयोग:
तेल और गैस की गिरती कीमतों और ईरान, इराक और अफ्रीकी देशों की ओर से बड़े पैमाने पर इसके उत्पादन और अमेरिका की ओर किए जाने वाले उत्पादन में बढ़ोतरी के बीच रूस मजबूत ऊर्जा सहयोगियों की तलाश कर रहा है. वहीं, चीन और भारत को अपनी ग्रोथ के इंजन के लिए ज्यादा ऊर्जा संसाधनों की जरूरत है. हालांकि यह आइडिया रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दिमाग की उपज थी लेकिन यह चीन और भारत के लिए भी काफी फायदेमंद होगा.

ब्रिक्स सम्मेलन के घोषणापत्र में भारत के लिए परमाणु ऊर्जा और न्यूक्लियर ट्रेड की जरूरतों का जिक्र किया गया. इससे एनएसजी की सदस्यता हासिल करने में जुटे भारत की कोशिशों को बल मिला.

कारोबार:
मोदी और पुतिन ने कुडनकुलम न्यूक्लियर प्लांट की यूनिट 3 और 4 की नींव रखी. भारत और रूस ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के निर्माण के क्षेत्र में भी सहयोग करने जा रहे हैं. रूसी कंपनी रोजनेफ्ट और उसके भागीदारों ने एस्सार ऑयल की रिफाइनरी, बंदरगाह और पेट्रोल पंप कारोबार को खरीदा है. एस्सार के इन कारोबारों का मूल्य 12.9 अरब डॉलर आंका गया है. एस्सार और रोजनेफ्ट के बीच यह सौदा नकदी में होगा और इसके अगले साल पहली तिमाही तक संपन्न होने की उम्मीद है. एस्सार ऑयल को खरीदने वाले इस कंपनी पर चार अरब डॉलर के कर्ज की जिम्मेदारी भी उठाएंगे.

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कूटनीति:
ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारत ने सार्क के बजाय बिम्सटेक देशों के राष्ट्राध्यक्षों को न्योता देकर एक बार फिर पकिस्तान को अलग थलग करने की कोशिश की. ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान बिम्सटेक के नेताओं की मुलाकात चीन, रूस, दक्षिण अफ़्रीका और ब्राजील के नेताओं से हुई. उरी हमलों के बाद भारत ने इस्लामाबाद में हो रहे सार्क सम्मलेन का बहिष्कार किया तो कई अन्य देशों ने भी इसमें हिस्सा नहीं लिया. पाकिस्तान इससे अलग थलग नजर आया और फिर ऐसा माना जाने लगा कि भारत बिम्सटेक को ज्यादा बढ़ावा देगा क्योंकि इसमें पकिस्तान शामिल नहीं है.

उरी हमले और पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद चीन और रूस की गतिविधियां भारत के पक्ष में नहीं दिख रही थीं. उरी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशि‍श की थी. भारत ने सिंधु नदी समझौते की समीक्षा करने की बात की तो चीन ने ब्रह्मपुत्र का पानी रोकने की कवायद शुरू कर दी.

उरी हमले के बाद दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच तनाव की स्थ‍िति पैदा हो गई तो रूसी सेना पाकिस्तानी सेना के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास के लिए पाकिस्तान पहुंच गई. खबर आई कि यह युद्धाभ्यास भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित इलाके में होगा. भारत को अपने पुराने सहयोगी से ऐसी उम्मीद नहीं थी. हालांकि ब्रिक्स सम्मेलन ऐन पहले रूस ने साफ कर दिया कि यह युद्धाभ्यास विवादित इलाके में नहीं होगा और इसे लेकर भारत को चिंता करने की कोई बात नहीं है.

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