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1947 में जब आजादी का जश्न मना रहा था देश, उपवास पर क्यों थे गांधी?

देश आजादी की 71वीं सलगिरह मना रहा है. दिल्ली से लेकर देश के दूर-दराज तक के इलाकों में तिरंगा फहराया जा चुका है. आइए इस मौके पर यह जानते हैं कि अहिंसा के पूजारी और अजादी की लड़ाई के मुख्य नायक आजादी की पहली सुबह और उससे एक रात पहले क्या कर रहे थे. महात्मा गांधी ने इस देश को आजाद करवाने के लिए लड़ी जाने वाली जिस लड़ाई का नेतृत्व किया था उसका अंत 15 अगस्त 1947 को हुआ.

फाइल फोटो फाइल फोटो
विकास कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 15 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 2:30 PM IST

देश आजादी की 71वीं सलगिरह मना रहा है. दिल्ली से लेकर देश के दूर-दराज तक के इलाकों में तिरंगा फहराया जा चुका है. आइए इस मौके पर यह जानते हैं कि अहिंसा के पूजारी और अजादी की लड़ाई के मुख्य नायक आजादी की पहली सुबह और उससे एक रात पहले क्या कर रहे थे. महात्मा गांधी ने इस देश को आजाद करवाने के लिए लड़ी जाने वाली जिस लड़ाई का नेतृत्व किया था उसका अंत 15 अगस्त 1947 को हुआ. देश घोषित तौर पर आजाद हुआ. आजाद मुल्क के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले से तिरंगा फराया. जनता सड़कों पर थी. लोग आजादी की पहली सुबह में झुम रहे थे. चारों तरफ एक खुशी का माहौल था लेकिन महात्मा गांधी इनसब से दूर कलकत्ता में थे और आजादी के साथ हुए देश के बंटवारे और इस वजह से हो रही हिंदू-मुस्लिम दंगों की वजह पीड़ा में थे.

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हिंदू-मुस्लिम दंगों की वजह से और बंटवारे की शर्त पर मिली आजादी की वजह से व्यथित गांधी दिल्ली में हो रहे समारोह से दूर रहे. कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता उन्हें मनाने और दिल्ली लाने के लिए बंगाल गए लेकिन उन्होंने सबको वापिस लौटा दिया. आजादी की पहली सुबह गांधी के लिए उपवास के साथ शुरू हुई थी. . सुबह-सुबह उन्होंने चरखा कातते हुए कुछ पत्रों के जवाब लिखवाए थे. इन पत्रों में उन्होंने चरखा कातने को ही उत्सव का नाम दिया था.

गांधी देश में फैले हिंदू-मुस्लिम काफी दुखी थे. आजादी मिलने के कुछ समय पहले ही उनका और नेहरू का मतभेद सामने आ चुका था. नेहरू उनकी सुन नहीं रहे थे. महान समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया की किताब 'भारत विभाजन के गुनहगार’ में इस बात का जिक्र आता है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी को बंटवारे के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं दी थी.

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किताब में लोहिया कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की उस बैठक का विस्तार से जिक्र करते हैं जिसने देश की विभाजन योजना को स्वीकृति दी. लोहिया के मुताबिक इस बैठक में गांधी ने नेहरू और पटेल से शिकायती लहजे में कहा था कि उन्हें बंटवारे के बारे में सही जानकारी नहीं दी गई. इसके जवाब में नेहरू ने महात्मा गांधी की बात को बीच में ही काटते हुए कहा था कि उन्होंने, उन्हें बराबर सूचना दी थी.

लोहिया लिखते हैं, 'गांधी ने हल्की शिकायत की मुद्रा में श्री नेहरू और सरदार पटेल से कहा था कि उन्हें बंटवारे के बारे में सूचना नहीं दी गई और इसके पहले कि गांधी जी अपनी बात पूरी कह पाते, श्री नेहरू ने तनिक आवेश में आकर बीच में उन्हें टोका और कहा कि उनको वो पूरी जानकारी बराबर देते रहे'.

 

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