
शिवसेना ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. मुखपत्र 'सामना' में संपादकीय में पूछा गया है कि भारतीय सेना पाकिस्तान के खिलाफ ताकत का इस्तेमाल कब करेगी? क्या उसके लिए उचित मुहुर्त ढूंढने की जरूरत है या सिर्फ एक दूसरे को धमकी देने का कार्यक्रम चलता रहेगा.
संपादकीय में कहा गया है कि भारत के नए सेना प्रमुख बिपिन रावत ने आते ही पाकिस्तान को धमका दिया. देश के नए सेना प्रमुख का बयान उचित है और इसके लिए उनकी जितनी प्रशंसा करें वह कम है, परंतु पाकिस्तानियों को सबक सिखाने की वह योग्य घड़ी निश्चित तौर पर कब आएगी. धमकी देने का यह कार्यक्रम दोनों और से पिछले 60-65 सालों से जारी है. जबकि पिछले कई सालों से सेना उचित आदेश के इतंजार में बैठी है. सेना के जवानों की जान जाती रही है, लेकिन पाकिस्तान को सबक सिखाने की राजनीतिक इच्छाशक्ति दिल्ली के सत्ताधीशों में है क्या यह असली सवाल है?
'सामना' में आगे लिखा है कि सच तो यह है कि पिछले ढाई सालों में कश्मीर घाटी मे सर्वाधिक जवान शही द हुए हैं. पाकिस्तान जैसे छटांक भर देश द्वारा भारत में बार-बार आतंकवादियों को घुसाकर हमारे जवानों के हत्याकांड अंजाम दिए जा रहे है और हम मौन रहे. कब तक जवानों की लाशें गिनते रहेंगे और कितने सालों तक बर्दाश्त करते रहें. बीच मे किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी अब तक 70 से अधिक जवान मारे गए हैं.
आगे लिखा है कि किसी भी प्रकार का युद्ध किए बिना हमारे जवानों को अपना बलिदान देना पड़ रहा है. समय बताकर नहीं आता यह सही है, लेकिन पठानकोट से उरी तक पाकिस्तानियों ने कहकर और तय करके हमले किए. हम ताकत का इस्तेमाल कब करें, इसके लिए उचित मुहुर्त ढुंढते रहे तो यह उचित नहीं.