
जयललिता के इस दुनिया में न रहने का सबसे पहला असर यह हुआ है कि करीब पांच साल तक निष्क्रिय रहने के बाद शशिकला के पति एम नटराजन तमिलनाडु के राजनीतिक हलके में फिर से वापस लौट आए हैं. यही नहीं उनके साथ ' मन्नारगुडी का पूरा माफिया' यानी उनके भाई-भतीजे और अन्य रिश्तेदार जयललिता के पोएस गार्डेन स्थित आवास वेद निलयम में डेरा जमा चुका है, जिनकी पहले भी कभी राज्य में धाक होती थी.
इन सबके वापस आने से पार्टी बंटवारे के मुहाने पर खड़ी होती दिख रही है. शशिकला एक छोटे कस्बे मन्नारगुडी से आती हैं और उनका पूरा कुनबा ' मन्नारगुडी का पूरा माफिया' के नाम से बदनाम है. जयललिता जब अपोलो अस्पताल पहुंची तभी से एआइएडीएमके के नेताओं को यह अंदाजा हो गया था कि एम नटराजन की महत्वाकांक्षाएं फिर हिलोरें मारेंगी. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार नटराजन अम्मा की विरासत हथियाना चाहते हैं और सबको यह बताते फिर रहे हैं कि जयललिता की अंतिम इच्छा यह थी कि शशिकला को उनका उत्तराधिकारी बनाया जाए.
एआईएडीएमके में बंटवारे का डर
तो इसका मतलब यह है कि पार्टी में पाला खिंच चुका है. शशिकला विरोधी खेमा कभी यह नहीं चाहेगा कि 'मन्नारगुडी के माफिया' को खुलकर खेलने का मौका दिया जाए. पार्टी के अलग-अलग धड़े अपने दावे मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. सत्तारूढ़ पार्टी जब बंटवारे के मुहाने पर खड़ी है, तो विरोधी दल डीएमके और बीजेपी भी घटनाक्रम पर गहराई से नजर रखे हुए हैं. अब सवाल उठता है कि पार्टी के अंदरखाने जारी इस लड़ाई में ओ पनीरसेल्वम किधर खड़े हैं ? पार्टी के विधायक इस बारे में भ्रम में ही हैं. कोई भी उनका गेमप्लान समझ नहीं पा रहा है. शशिकला के पति ने मीडिया से कहा कि कोई 'आम व्यक्ति भी पार्टी का नेतृत्व कर सकता है.'