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दिल्ली की एक कोर्ट ने रेप के मामले में अपने एक रिश्तेदार को फंसाने वाली एक मॉडल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की है. कोर्ट ने कहा कि अगर मॉडल झूठे सबूत देने पर बगैर किसी सजा के छूट जाती है, तो यह कोर्ट के लिए कर्तव्य पूरा नहीं कर पाना होगा.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट्ट ने एक व्यक्ति को रेप और आपराधिक धमकी के आरोप से बरी करते हुए कहा, 'महिला की गवाही और सबूतों की जांच से खुलासा हुआ कि आरोपी के खिलाफ रेप के उसके आरोपों में कोई सच्चाई नहीं थी.' न्यायाधीश ने कहा, ‘उसकी गवाही में कोई भरोसा पैदा नहीं होता. उसकी गवाही न तो विश्वसनीय है ना ही सच्ची. नतीजन, आरोपी बरी होने का हकदार है और इसलिए उसे बरी किया जाता है.’
न्यायाधीश ने कहा, ‘मुझे लगता है कि वर्तमान मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखकर, अगर याचिकाकर्ता (महिला) इस कोर्ट के सामने झूठे सबूत देने के लिए सजा पाए बगैर चली जाती है, तो यह कोर्ट अपने कर्तव्यों को पूरा करने में नाकाम होगी. वह झूठे सबूत देने के अपराध के लिए कानूनी कार्यवाही की पात्र है.’
कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के दौरान महिला ने स्वीकार किया कि उसने एक बुजुर्ग एनआरआई सहित कई लोगों के खिलाफ रेप की शिकायतें दर्ज कराई हैं और ‘वह उन लोगों के खिलाफ रेप के झूठे आरोप लगाती थी जिनके साथ उसके अंतरंग संबंध थे.’
फरवरी 2013 में बिंदापुर पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर के अनुसार, 'पेशे से मॉडल एक महिला ने आरोप लगाया था कि 2012 में जयपुर के एक होटल के कमरे में और फिर दो बार उसके घर पर उसके एक रिश्तेदार ने उसे नशे की दवा खिलाकर रेप किया.'
- इनपुट भाषा से