
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा द्वारा देश की आर्थिक हालात पर उठाए गए सवालों पर भारतीय मजदूर संघ इत्तेफाक नहीं रखता है. भारतीय मजदूर संघ के महासचिव बृजेश उपाध्याय का कहना है कि, "यशवंत सिन्हा एक राजनीतिक व्यक्ति हैं. मैं देश की अर्थव्यवस्था के बारे में अलग-अलग अर्थशास्त्रियों के अलग-अलग विचार पढ़ता रहता हूं. मेरा यह मानना है कि अर्थशास्त्री लोग एकमत नहीं है."
उन्होंने आगे कहा कि, "जिन मुद्दों का यशवंत सिन्हा ने जिक्र किया है इसमें मजदूर क्षेत्र का होने के नाते हमारा अलग प्रकार का अनुभव आ रहा है. इन विषयों पर अभी से कोई निर्णायक मत बनाना बहुत जल्दी है. मैं मजदूर फ्रंट पर देखता हूं कि नोटबंदी के बाद एक करोड़ 27 लाख नए लोग प्रोविडेंट फंड में एनरोल हुए हैं. सोशल सिक्योरिटी के दायरे में आए हैं."
सोशल सिक्योरिटी के मुद्दे पर उपाध्याय बोले कि मजदूर फार्मूलाइज हो रहा है. मजदूर तो इनफॉर्मल सेक्टर में था. उसको सोशल सिक्योरिटी बाकी की सुविधाएं नहीं मिलती थी. इस सुविधा के कारण इस दायरे में आ रहा है. यह उसका बेनेफिशरी बनेगा. फार्मूलाइजेशन बन रहा है. तो टैक्स के दायरे में आएंगे. टैक्स कलेक्शन बढ़ेगा. 46 -47 करोड़ मजदूर बेनेफिशरी होने जा रहे हैं.
भारतीय मजदूर संघ के महासचिव का कहना है कि आर्थिक हालात खराब हुए ऐसा मुझे कहीं नहीं दिख रहा है. 70 साल से अर्थव्यवस्था को मैं एनलाइज करता रहा हूं. ऐसी कोई बात दिखाई नहीं देती. जीएसटी या नोटबंदी बहुत अच्छा हो गया या बहुत खराब हो गया. इस प्रकार के निर्णय पर जाना अभी ठीक नहीं है.
जीडीपी के बारे में भारतीय मजदूर संघ के महासचिव बृजेश उपाध्याय का कहना है कि जीडीपी के बारे में हमारा पहले दिन से मत है कि जीडीपी वास्तविक प्रकृति से इसका कोई रिश्ता नहीं है. यह यह बेकार की फिलोसफी है. प्रगति का मापन करना इसके आधार पर कोई पैमाना नहीं है.