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अलविदा 2018: पिछले साल से ज्यादा मारे गए आतंकी, 177 नक्सली भी ढेर

आतंकवाद और नक्सलवाद की चुनौतियों का सामना कर रहे देश के लिए 2018 का साल कई मायनों में कामयाब माना जा सकता है. इस साल न सिर्फ 2017 की तुलना में ज्यादा आतंकवादी मारे गए बल्कि बड़ी तादाद में नक्सली भी मारे गए और गिरफ्तार हुए.

भारतीय सेना के जवान (फोटो-प्रतीकात्मक) भारतीय सेना के जवान (फोटो-प्रतीकात्मक)
वरुण प्रताप सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 25 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 4:03 PM IST

देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन चुके आतंकवाद और नक्सलवाद के मोर्चे पर देश को बड़ी सफलता मिली है. इस साल जहां 2017 की तुलना में ज्यादा आतंकी मारे गए हैं, तो वहीं दूसरी ओर देश में कोई भी बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ. इस साल 24 दिसंबर तक जम्मू-कश्मीर में 257 आतंकवादी मारे गए हैं. सुरक्षा बलों ने एलओसी और उसके नजदीक हुई मुठभेड़ों के अलावा जम्मू-कश्मीर के अंदरूनी इलाकों में इन आतंकवादियों को मार गिराया. यह आंकड़ा पिछली साल की तुलना में ज्यादा है. 2017 में जम्मू-कश्मीर में 213 आतंकवादी मारे गए थे. इस साल 50 से ज्यादा आतंकी गिरफ्तार किए गए, जबकि पांच ने आत्मसमर्पण भी किया.

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अब भी 240 आतंकी सक्रिय

खुफिया एजेंसियों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में अब भी करीब 240 आतंकी सक्रिय हैं. इनमें कुछ विदेशी भी शामिल हैं.

कौन से बड़े आतंकी मारे गए

इस साल सुरक्षा बलों से जम्मू-कश्मीर में सक्रिय अबु मतीन, अबु हमास, समीर अहमद भट उर्फ समीर टाइगर, सद्दाम पड्डार, अबु कासिम, अबु माविया, मन्नान वानी, मेहराजुद्दीन बांगरू, सब्जार अहमद सोफी, जावेद नट और जहूर अहमद ठोकार जैसे आतंकवादियों को मार गिराया. हालांकि, जाकिर मूसा नाम के आतंकी की सुरक्षा बल सरगर्मी से तलाश कर रहे हैं.   

कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं

इस साल देश में जम्मू-कश्मीर के अलावा कहीं कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ. इस लिहाज से साल 2018 देश के लिए सुरक्षित रहा. सूत्रों के मुताबिक भाजपा द्वारा महबूबा मुफ्ती नीत सरकार से समर्थन वापस लेने और 19 जून को राज्य में राज्यपाल शासन लगाए जाने के बाद कश्मीर घाटी की सुरक्षा स्थिति में सुधार आया है.

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अमरनाथ यात्रा थी चुनौती

इस साल सिक्योरिटी फोर्सेज ने सुरक्षा के इंतजाम बेहतर करने के लिए कई तरह की नई रणनीतियां बनाईं. इसी रणनीति का नतीजा था कि अमरनाथ यात्रा के दौरान कोई बड़ी आतंकी घटना नहीं हुई.

आतंकियों के परिवारवालों से अपील

सुरक्षा बलों ने इस साल एक तरह से नई रणनीति पर काम किया. सेना और पुलिस ने कश्मीर घाटी में सक्रिय में आतंकियों और उनके परिवारवालों से हथियार छोड़ने की अपील की. उनकी अपील का कुछ हद तक असर भी दिखा जब पांच आतंकियों ने हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का ऐलान किया.

नक्सलियों पर भी भारी पड़े जवान

आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन चुके नक्सलियों के लिए भी यह साल अच्छा नहीं रहा. इस साल 30 सितंबर तक उपलब्ध आंकड़े यह बताते हैं कि इस साल 177 नक्सली मारे गए हैं, जबकि 1274 गिरफ्तार हुए हैं. वहीं, करीब 400 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण भी किया है. छत्तीसगढ़ में कुछ नक्सली हमले जरूर हुए, लेकिन उनके खिलाफ सुरक्षा बलों को कामयाबी भी मिली.

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