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योगी सरकार के एक साल पूरे: पुरानी शराब-नई बोतल जैसा है 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट'?

अपने चुनावी वादों में योगी ने दावा किया था कि वह जल्द से जल्द राज्य को विकास की प्रथम पंक्ति में रखते हुए उत्तर प्रदेश के आर्थिक आंकड़ों को गुजरात के आंकड़ों के बराबर रख देंगे. लेकिन कार्यकाल के एक साल पूरा होने के बाद जानिए इस दिशा में योगी सरकार को कितनी सफलता मिल चुकी है और वादा पूरा करने के लिए क्या अहम कदम उठाए गए हैं.

वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट है टॉप प्रोजेक्ट वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट है टॉप प्रोजेक्ट
राहुल मिश्र
  • लखनऊ,
  • 19 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 10:47 AM IST

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी सरकार को अब एक साल पूरा हो चुका है. अपने चुनावी वादों में योगी ने दावा किया था कि वह जल्द से जल्द राज्य को विकास की प्रथम पंक्ति में रखते हुए उत्तर प्रदेश के आर्थिक आंकड़ों को गुजरात के आंकड़ों के बराबर रख देंगे. लेकिन कार्यकाल के एक साल पूरा होने के बाद जानिए इस दिशा में योगी सरकार को कितनी सफलता मिल चुकी है और वादा पूरा करने के लिए क्या अहम कदम उठाए गए हैं.

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एक साल के कार्यकाल के दौरान यूपी को गुजरात जैसे आर्थिक आंकड़े देने की दिशा में योगी सरकार ने राज्य के हर शहर से क्षेत्रीय व परंपरागत उत्पादों को देश-दुनिया में नई पहचान दिलाने और उन्हें ब्रांड बनाने के लिए योजना तैयार की है. इस योजना के तहत हर शहर के मशहूर उत्पादों को दुनियाभर में प्रमोट किसा जाएगा.

इस योजना में लखनऊ के चिकन के कुर्ते, सूट-सलवार, साड़ियां, अलीगढ़ का ताला, बनारसी साड़ियां, मुरादाबाद का पीतल, फिरोजाबाद की चूड़ियां, कन्नौज का इत्र समेत अन्य जिलों की प्रसिद्ध चीजें शामिल हैं. योगी सरकार की इस योजना को 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट' के नाम से जाना जाएगा.

योगी का प्लान वन?

योगी सरकार की कोशिश है कि क्षेत्रीय उत्पादों-विशेषताओं को उभारने के लिए उनकी बेहतर मार्केटिंग की जाए. इसके लिए संबंधित जिले के परंपरारागत उत्पादों को प्रमोट करने के लिए स्थानीय स्तर पर ही हब तैयार किया जाएगा. वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट स्कीम के तहत राज्य सरकार अलग-अलग जिलों में लुप्त होते छोटे, मझोले और परंपरागत उद्योगों को पूरी दुनिया तक फैलाने की तैयारी कर रही है.

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इस योजना के तहत कारीगरों, उद्यमियों को वित्तीय सहायता देकर उनके कारोबार को एक बार फिर खड़ा करने की कोशिश की जाएगी. इसके साथ ही इन उत्पादों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देते हुए इन्हें वैश्विक स्तर पर उपभोक्ताओं के लिए तैयार किया जाएगा. वहीं राज्य सरकार इन उत्पादों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार करने में भी कारोबारियों की मदद करेगी.

यूं बढ़ेगी जीडीपी?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश सरकार की कमान संभालने के बाद अपने पहले बजट में राज्य के विकास का खाका खींचते हुए बताया था कि विकास के एजेंडा पर वह कैसे राज्य की जीडीपी में इजाफा करने की तैयारी कर रहे हैं. योगी के पहले बजट के मुताबिक राम, कृष्ण और बुद्ध के सहारे राज्य सरकार अपने राजस्व में इजाफा करेगी. लिहाजा योगी सरकार ने अयोध्या, मथुरा और वाराणसी जैसे धार्मिक स्थलों के लिए सर्किट योजना पेश की.

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मुख्यमंत्री के मुताबिक स्वदेश दर्शन योजना के तहत अयोध्या, वाराणसी एवं मथुरा में रामायण सर्किट, बौद्ध सर्किट एवं कृष्ण सर्किट की योजनाओं के लिए उनकी सरकार 1240 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. इसके अलावा राज्य के खजाने से 800 करोड़ रुपये प्रसाद योजना के तहत अयोध्या, वाराणसी और मथुरा में इंफ्रा डेवलपमेंट में खर्च होंगे. गौरतलब है कि इस टूरिस्ट सर्किट योजना के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा है कि राज्य की जीएसडीपी में बड़ा इजाफा किया जा सकता है.

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मेक इन यूपी से आएगा निवेश?

योगी सरकार ने अपने पहले साल के कार्यकाल के दौरान राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए मेक इन इंडिया की तर्ज पर मेक इन यूपी कार्यक्रम कार्यक्रम की शुरुआत की है. इस रणनीति से प्रदेश को मैन्यूफैक्चरिंग का प्रमुख केन्द्र बनाया जाएगा और उत्तर प्रदेश को देश की फैक्ट्री के तौर पर विकसित किया जाएगा. इस नीति का लक्ष्य राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश को प्रतिस्पर्धी निवेश गंतव्य के रूप में भी स्थापित करना है, जिससे रोजगार सृजित हो सके तथा प्रदेश के स्थायी, समेकित तथा संतुलित आर्थिक विकास को बल मिले.

कैसे मिलेंगी एक करोड़ नौकरियां?

अब सवाल यह है कि क्या राज्य सरकार उत्तर प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों को तेज करने के लिए महज परंपरागत उद्योगों के सहारे राज्य को कैसे अग्रणी बनाने की कोशिश करेगी. क्या सुस्त पड़े चुके और लुप्त होते इन परंपरागत उद्योग के सहारे योगी सरकार राज्य में एक करोड़ नौकरी पैदा करने का अपना वादा पूरा कर सकती है. या फिर यह योजना भी पुरानी सरकारों की परंपरागत उद्योग को मजबूत करने की योजनाओं की तरह ही है और यह महज नई बोतल में पुरानी शराब की तरह साबित होगी.

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