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अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट 'गोमती रिवरफ्रंट' पर ग्रहण, योगी सरकार ने की CBI जांच की सिफारिश

आदित्यनाथ ने गत एक अप्रैल को इस मामले की उच्च न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराने के आदेश दिये थे. साथ ही उन्होंने एक समिति भी गठित करके उससे 45 दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी थी.

गोमती रिवरफ्रंट गोमती रिवरफ्रंट
BHASHA
  • लखनऊ,
  • 20 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 9:57 PM IST

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गुरुवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट 'गोमती रिवरफ्रंट' में हुई विभिन्न अनियमितताओं की सीबीआई जांच की संस्तुति कर दी है. गृह विभाग के सचिव भगवान स्वरूप ने यह जानकारी मीडिया को दी. उन्होंने कहा, "गोमती रिवर फ्रंट परियोजना की सीबीआई जांच के लिए औपचारिक पत्र केन्द्र को भेज दिया गया है."

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आपको बता दें कि गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में गड़बड़ी के आरोप में सिंचाई विभाग द्वारा आठ अभियंताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए जाने के करीब एक महीने बाद सरकार ने यह कदम उठाया है. प्रदेश के नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना की अगुवाई में चार सदस्यीय समिति ने गोमती रिवरफ्रंट मामले की जांच की थी. समिति ने पिछले महीने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सपनों की परियोजना कहे जाने वाले गोमती रिवरफ्रंट पर भी शुरू से ही योगी सरकार की नजर टेढ़ी रही. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गत एक अप्रैल को इस मामले की उच्च न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराने के आदेश दिये थे. साथ ही उन्होंने एक समिति भी गठित करके उससे 45 दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी थी.

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अधिकारियों के अनुसार परियोजना के लिये आबंटित 1513 करोड़ रुपये में से 95 प्रतिशत धनराशि यानी 1435 करोड़ रुपये खर्च हो जाने के बावजूद अभी तक केवल 60 प्रतिशत से कम ही काम ही हो सका है.

मुख्यमंत्री ने गोमती में कचरा ना डालने की सख्त हिदायत देते हुए कहा था कि नदी को प्रदूषणमुक्त किए बगैर उसके किनारों के सौंदर्यीकरण का कोई अर्थ नहीं है. नदी इतनी प्रदूषित है कि उसके किनारे खड़े होना मुश्किल है. ऐसे में उसकी धारा पर करोड़ों रुपये के फौव्वारे लगाना फिजूलखर्ची है.

गौरतलब है कि प्रदेश के 940 किलोमीटर क्षेत्र में बहने वाली गोमती नदी औद्योगिक तथा घरेलू कचरे के कारण बेहद प्रदूषित हो चुकी है. इसके किनारे बसने वाले लखनऊ, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, सुलतानपुर, जौनपुर समेत 15 छोटे-बड़े नगरों में इस नदी में कूड़ा तथा औद्योगिक कचरा डाला जाता है.

 

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