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मॉल के सेप्टिक टैंक की सफाई में हादसा, भाई को बचाने में गई जान

तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में एक दर्दनाक हादसे में एक युवक की मौत हो गई. युवक की मौत एक मॉल में सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान हुए हादसे में अपने भाई को बचाने के दौरान हुई.

सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान कर्मचारी की मौत सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान कर्मचारी की मौत
aajtak.in
  • चेन्नई,
  • 12 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 8:47 AM IST

  • मॉल में दर्दनाक हादसा, युवक की मौत
  • सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान हुई मौत
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में एक दर्दनाक हादसे में एक युवक की मौत हो गई. युवक की मौत एक मॉल में सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान हुए हादसे में अपने भाई को बचाने के दौरान हुई. मृतक युवक की पहचान अरुण कुमार के रूप में हुई. उसकी उम्र 25 साल बताई गई. अरुण की मौत से उसके परिवार में शौक का माहौल है, उसके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. अरुण की मौत तब हुई है जब तमिलनाडु में मैनुअल स्कैवेंजिंग प्रतिबंधित है.

अरुण की मौत से मॉल में मचा हड़कंप

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अरुण की मौत से मॉल में हड़कंप मच गया और सभी लोग हादसे की जगह की ओर भागे. पुलिस के मुताबिक, मंगलवार तड़के करीब 4 बजे जब रंजीत सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए एक्सप्रेस एवेन्यू मॉल के सेप्टिक टैंक में घुसा था. टैंक में घुसते ही उसका दम घुटने लगा और वह नीचे गिर गया. यह देखकर उसके भाई अरुण से रहा नहीं गया और वह उसे बचाने के लिए टैंक में घुसा. अरुण अपने भाई रंजीत को बचाने में तो कामयाब रहा, लेकिन खुद को नहीं बचा सका.

पुलिस ने पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा शव

माना जा रहा है कि अरुण की मौत टैंक में जहरीली गैसों के कारण दम घुटने से हुई. हालांकि पुलिस ने अरुण के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम जांच के लिए भेज दिया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है. शुरुआती जांच में पता चला है कि एक ठेकेदार इन पांचों मजदूरों को सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए मॉल लेकर आया था.

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तमिलनाडु में सबसे ज्यादा मौतें

सोशियल जस्टिस एंड एम्पावरमेंट मिनिस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार, तमिलनाडु में सीवर टैंक की सफाई के दौरान सबसे ज्यादा लोगों की मौत हुई हैं. मौत का आंकड़ा 144 का है. 1993 में एम्प्लॉयमेंट ऑफ मैनुअल स्कैवेंजर्स एंड कंस्ट्रक्शन ऑफ ड्राई लैट्रिन (निषेध) अधिनियम के तहत मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. हालांकि, मैनुअल मैला ढोने वालों के रोजगार को प्रतिबंधित करने वाले एक कानून के बावजूद, एक सरकारी सर्वेक्षण ने जुलाई 2019 तक इस रोजगार में लगे 54 हजार 130 लोगों की पहचान की.

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