
तेलंगाना में पिछले एक साल के भीतर 243 किसानों ने आत्महत्या की. राज्य सरकार की ओर से इन किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. गुरुवार को राज्य सरकार की ओर से 14.58 करोड़ रुपये का फंड जारी किया गया.
हर किसान के परिवार को 6 लाख रुपये दिए जाएंगे. सरकार के अनुसार, नलगोंडा में 45, खम्मम में 32, संगारेद में 20 किसानों ने आत्महत्या की है.
क्या कहते हैं देश में मौत के आंकड़े?
देश में कर्ज और फसल तबाही की वजह से मजबूर होकर 24 हजार से अधिक किसानों ने आत्महत्या की. ये आंकड़े वर्ष 2014 और 2015 के हैं. केंद्र सरकार ने लोकसभा में यह जानकारी दी है. हालांकि 2016 के बाद से किसानों की आत्महत्या के आंकड़े सरकार के पास नहीं है. माना जा रहा है कि अगर इस साल तक के आंकड़े जुटाए जाएं तो यह संख्या काफी ज्यादा होगी.
एडीएसआई रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 और वर्ष 2015 के दौरान देश भर में किसानों की ओर से की गई आत्महत्याओं की कुल राज्यवार संख्या की जानकारी दी. जिसके मुताबिक 2014 में 12360 किसानों ने आत्महत्या की. इसमें 5650 किसान रहे तो 6710 किसान मजदूरों ने जान दी. वहीं 2015 में 12602 मौतें हुईं. जिसमें 8007 किसान रहे और 4595 कृषि मजदूर.
सबसे ज्यादा मौतें
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना में सबसे ज्यादा किसानों ने जान दी. सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में 2014 में 4004, 2015 में 4291 किसानों ने आत्महत्या दी. वहीं तेलंगाना में 2014 में 1347 और 2015 में 1400 मौतें हुईं.
मध्य प्रदेश में दोनों वर्षों में क्रमशः 1198 और 1290 किसानों की मौत हुई. छत्तीसगढ़ में 755 और 954 किसानों ने 2014 और 2015 में जान दी. सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में हालांकि इन राज्यों की तुलना में किसानों की आत्महत्या के कम मामले आए. यूपी में 2014 में 192 और 2015 में 324 किसानों की मौत हुई.