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तेलंगाना: सांसद रेवंत रेड्डी समेत कई कांग्रेसी नेता नजरबंद

रोडवेज कर्मचारियों के समर्थन में कांग्रेस सांसद रेवंत रेड्डी समेत कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया है. कांग्रेस नेताओं के घर के बाहर फोर्स की तैनाती की गई है.

कांग्रेस सांसद रेवंत रेड्डी नजरबंद (फाइल फोटो- ट्विटर) कांग्रेस सांसद रेवंत रेड्डी नजरबंद (फाइल फोटो- ट्विटर)
आशीष पांडेय
  • हैदराबाद,
  • 21 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 10:16 AM IST

  • राज्य सड़क परिवहन कर्मचारियों का मामला बढ़ा
  • कांग्रेस के कई नेताओं को प्रशासन ने किया नजरबंद
  • सांसद रेवंत रेड्डी समेत कई नेताओं के घर फोर्स तैनात

तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों की बर्खास्तगी का मामला बढ़ता जा रहा है. रोडवेज कर्मचारियों के समर्थन में कांग्रेस ने आज मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के कैंप कार्यालय को घेरने की तैयारी की है.

कांग्रेस के प्रदर्शन से पहले ही चंद्रशेखर राव सरकार एक्शन में है. कांग्रेस के इस प्रदर्शन का नाम 'प्रगति भवन चलो' है. लेकिन प्रदर्शन से पहले कांग्रेस सांसद रेवंत रेड्डी समेत कई कांग्रेसी नेताओं को नजरबंद कर दिया गया है. उनके घर के बाहर फोर्स की तैनाती कर दी गई है.

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तेलंगाना में परिवहन कर्मियों की हड़ताल जारी है. बंद से पहले ही तेलंगाना हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि इस विवाद का 28 अक्टूबर से पहले समाधान निकाल लेना चाहिए.

राज्य में बस सेवा बुरी तरह से प्रभावित हुई है आरटीसी अस्थाई ड्राइवरों और कंडक्टरों के साथ सेवाएं जारी रख रा है. बंद की वजह से बस सेवाओं का संचालन जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों के सहयोग से हो रहा है.

आज सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने दिन में प्रदर्शन आयोजित करने की घोषणा की थी. तेलगू देशम पार्टी, तेलंगाना जन समिति का दावा है कि उनके कार्यकर्ताों को प्रदर्शन करने की वजह से पुलिस थाने ले जाया गया है.

यात्रियों को हो रही परेशानी

10,000 से अधिक बसें बस डिपो में ही रहने की वजह से यात्रियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है. अधिकारी 2100 बसों को किराए पर लेकर अस्थायी चालकों और अन्य श्रमिकों को तैनात कर बस सेवा को जैसे-तैसे संचालित कर रहे हैं, सेवा में कुछ स्कूली बसों को भी लगाया गया है.

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क्या हैं मांगें?

इन कर्मचारियों की मांग थी कि उनका सरकारी सिस्टम में विलय किया जाए. इसके अलावा वेतन पुनरीक्षण, नौकरी की सुरक्षा, बकाया राशि का भुगतान और रिक्तियों को सरकार की तरफ से भरा जाए. संगठन के अनुसार काम कर रहे 50 फीसदी से ज्यादा लोग अनुबंध के आधार पर कार्यरत हैं, इन्हें पक्का किया जाए. इसके अलावा बसों की संख्या भी बढ़ाई जाए.

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