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तेलंगाना में दो ट्रांसजेंडर बने सरकारी डॉक्टर, रचा इतिहास, ऐसी है संघर्ष की कहानी...

तेलंगाना में दो ट्रांसजेंडरों ने इतिहास रच दिया है. प्राची राठौड़ और रूथ जॉनपॉल हाल ही में चिकित्सा अधिकारी के रूप में नियुक्त हुई हैं. दोनों तेलंगाना की पहली ट्रांसजेंडर डॉक्टर हैं जो सरकारी सेवा में बहाल हुई हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर. प्रतीकात्मक तस्वीर.
aajtak.in
  • हैदराबाद,
  • 03 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:15 AM IST

तेलंगाना में दो ट्रांसजेंडरों ने प्रथम ट्रांसजेंडर डॉक्टर बनकर इतिहास रचा है. प्राची राठौड़ और रूथ जॉनपॉल हाल ही में चिकित्सा अधिकारियों के रूप में सरकारी उस्मानिया जनरल अस्पताल (ओजीएच) से जुड़ी हैं. राठौड़ को उनकी लैंगिक पहचान की वजह से शहर के एक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने नौकरी से निकाल दिया था. उन्होंने आदिलाबाद के एक चिकित्सा महाविद्यालय से 2015 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की थी.

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एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में उन्होंने बताया, ‘‘आपकी सारी उपलब्धियों के बावजूद दाग और भेदभाव कभी नहीं जाता.’’ राठौड़ स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए दिल्ली गईं थीं लेकिन प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण उन्हें हैदराबाद लौटना पड़ा. उन्होंने यहां एक अस्पताल में काम करते हुए आपात चिकित्सा में डिप्लोमा किया.

प्राची राठौड़ ने तीन साल तक शहर के एक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में काम किया. लेकिन लैंगिक पहचान की वजह से उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया, क्योंकि अस्पताल ने महसूस किया कि इसकी वजह से मरीजों की संख्या घट सकती है. बाद में एक गैर सरकारी संगठन (NGO) उनकी मदद के लिए आगे आया और उन्हें इस एनजीओ के क्लीनिक में नौकरी मिली. आगे चलकर उन्हें ओजीएच में काम मिला. वैसे तो उन्होंने बचपन में डॉक्टर बनने का सपना देखा था लेकिन जब वह 11वीं-12वीं कक्षा में पहुंचीं तो उनके सामने सबसे बड़ी चिंता इसी बात को लेकर थी कि अन्य विद्यार्थियों के तानों से कैसे पार पाया जाए.

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प्राची ने शेयर किया एक्सपीरियंस
राठौड़ ने कहा, ‘‘वाकई वह बुरा समय था. डॉक्टर बनने के बारे में सोचने के बजाय बड़ा मुद्दा था कि जिंदगी कैसी जिऊं और इन चीजों से कैसे उभरूं.” एक ट्रांसजेंडर के सामने आने वाली परेशानियों का जिक्र करते हुए राठौड़ ने कहा कि नौकरियों एवं शिक्षा में कुछ आरक्षण देने से इस समुदाय को जीवन में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा कि जिस तरह अल्पसंख्यकों पर ठोस कार्रवाई को लेकर विचार किया जाता है , उसी तरह ‘लैंगिक अल्पसंख्यकों’ पर उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए गौर किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘जब आपने हमें लैंगिक पहचान की वजह से तीसरी श्रेणी में डाला है तो मैं सरकार और हमारे साथ भेदभाव करने वालों से पूछना चाहती हूं कि पहली और दूसरी श्रेणी क्या है.’’ दूसरे ट्रांसजेंडर जॉनपॉल से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पायी है.

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