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कानपुर: सिख विरोधी दंगों में मारे गए थे 127 लोग, SIT करेगी जांच

1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में सिख समुदाय के खिलाफ दंगे हुए थे. इनमें दिल्ली के बाद यूपी का कानपुर में सबसे भयानक दंगे हुए थे, जिनमें सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी.

1984 में सिख दंगा का प्रतीकात्मक फोटो 1984 में सिख दंगा का प्रतीकात्मक फोटो
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 06 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 11:56 AM IST

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में सिख विरोधी दंगे हुए थे, जिनमें हजारों लोगों की जानें गई थी. 1984 में दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश के कानपुर में ही सिखों के खिलाफ सबसे भयावह दंगे हुए थे.  इस दंगे के 35 साल बाद योगी सरकार ने पूरे मामले की जांच के लिए पूर्व डीजीपी अतुल की अध्यक्षता में चार सदस्यों वाली एसआईटी गठित की है, जो छह माह में जांच पूरी कर सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सिखों को साधने के लिए योगी सरकार ने दांव चला है.

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बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में सिख समुदाय के खिलाफ दंगे हुए थे. इनमें दिल्ली के बाद यूपी का कानपुर में सबसे भयानक दंगे हुए थे, जिनमें 127 सिखों की मौत हुई थी. कानपुर में बजरिया, नजीबाबाद, पीपीएन मार्केट सहित शहर के कई इलाकों में सिखों के साथ मारकाट हुई थी. इनमें सिखों की दुकानें लूट ली गई थीं और उनके मकानों को आग के हवाले कर दिया था.

कानपुर में 300 से ज्यादा सिखों के मारे जाने और सैकड़ों घर तबाह होने के आरोप लगे थे. हालांकि, सिख दंगे की जांच करने वाले रंगनाथ मिश्रा आयोग ने दंगों में 127 सिखों की मौत के मामले को दर्ज किया था. सिखों का कहना है कि एक नवंबर को कानपुर में सिखों का कत्लेआम किया गया था, लेकिन इस मामले में बहुत दिनों तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई.

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हालांकि बाद में जब एफआईआर दर्ज की गई तो स्टेटस रिपोर्ट में कोई पुख्ता सबूत न होने की बात कहकर केस खत्म कर दिया गया था. सिखों ने आरोप लगाया था कि दंगे में सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी, लेकिन महज 127 लोगों की हत्या की एफआईआर दर्ज किए गए.

उत्तर प्रदेश प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मनजीत सिंह की याचिका पर सरकार को कानपुर के बजरिया और नजीबाबाद इलाकों में सिख दंगों को दौरान दर्ज हुए मामलों की जांच के लिए एसआईटी के गठन के निर्देश दिए थे. इसी पर यूपी सरकार ने एसआईटी गठन का फैसला किया है.

इसी मामले में योगी सरकार द्वारा गठित एसआईटी 84 दंगे के उन मुकदमों की दोबारा विवेचना करेगी, जिनमें साक्ष्यों के अभाव के चलते अंतिम रिपोर्ट लगा दी गई थी. अब नई गठित इन केसों को दोबारा से खोलेगी. इसके अलावा

एसआईटी को जरूरत हुई तो सीआरपीसी 173(8) के तहत अग्रिम विवेचना की जाएगी. ऐसे मामले जिनमें जरूरत के बावजूद रिट या अपील नहीं की गई, एसआईटी उन्हें कोर्ट के सामने पेश करने की सिफारिश कर सकती है.

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