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UP: इस गांव में कोरोना जैसे लक्षणों से कुल 22 लोगों की मौत, ग्रामीणों की जांच हुई मगर अब तक नहीं मिली रिपोर्ट

बुलंदशहर के इस गांव में एक आयुर्वेदिक अस्पताल है जिसमें थोड़ा बहुत काम होता है, एलोपैथिक डॉक्टरों की यहां पर कमी है, यही वजह है कि गांव में जब भी किसी को संक्रमण होता है तो उसको समय से इलाज नहीं मिल पाता है जिसके चलते गांव में अब तक 22 मौते हो गई हैं. गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम कुछ दिन पहले आई थी, उन्होंने जांच भी की मगर रिपोर्ट अभी तक पेंडिंग हैं.

ग्रामीणों में है कोरोना का डर ग्रामीणों में है कोरोना का डर
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • बुलंदशहर,
  • 21 मई 2021,
  • अपडेटेड 11:02 AM IST
  • पशुओं की चिकित्सा व्यवस्था है मगर आदमियों की नहीं
  • गांव में पिछले 20-25 दिन में बाइस की मौत
  • ग्रामीण सकते में हैं, लेकिन जागरूकता जीरो

बुलंदशहर से 7 किलोमीटर दूर नैथला हसनपुर गांव में पिछले 20 से 25 दिनों में कोरोना जैसे लक्षणों की वजह से 22 लोगों की मौत हो गई है. गांव वाले इस वजह से सकते में हैं और गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है. आजतक की टीम जब इस गांव में ग्राउंड रिपोर्ट के लिए पहुंची तो गांव के लोगों में कोरोना नियमों के पालन में कोई संजीदगी नहीं दिखाई पड़ रही थी. गांव के लोगों से जब आजतक की टीम ने बातचीत की तो उन्होंने मास्क ना लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग के पालन न करने को लेकर के पूछे गए सवाल पर अलग-अलग बहाने बताने की कोशिश की.

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कुछ गांव वालों ने बताया कि वह अभी घर में मौजूद थे जब घर से बाहर निकले तो मास्क लगाना भूल गए, कुछ लोगों ने मास्क ना लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने के पीछे अलग ही बहाना बताया. उन्होंने कहा कि इससे पहले वह सब नियमों का पालन करते थे लेकिन आज वह भूल गए हैं.

आजतक का कैमरा जब उनके सामने पहुंचा तो उनकी बहानेबाजी अलग ही थी. गांव के एक बुजुर्ग व्यक्ति जिनकी उम्र करीब 58 साल थी उन्होंने बताया कि उनको दमा की बीमारी है इसलिए जब भी वह मास्क लगाते हैं तो उनको सांस लेने में तकलीफ होती है, इस वजह से वह मास्क नहीं लगाते हैं पर इस गांव में जिस तरीके से कोरोना का कहर है वैसे में लोगों में जागरूकता की कमी दिखाई पड़ रही है.

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गांव के प्रधान प्रियंक कौशिक ने आजतक से बताया कि गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं एकदम ना के बराबर हैं गांव में एक आयुर्वेदिक अस्पताल है जिसमें थोड़ा बहुत काम होता है एलोपैथिक डॉक्टरों की यहां पर कमी है, यही वजह है कि गांव में जब भी किसी को संक्रमण होता है तो उसको समय से इलाज नहीं मिल पाता है जिसके चलते गांव में अब तक 22 मौते हो गई हैं. गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम कुछ दिन पहले आई थी ,उन्होंने जांच भी किया पर अभी तक रिपोर्ट पेंडिंग हैं.

कोरोना से बचाव के तरीकों को लेकर गंभीर नहीं हैं ग्रामीण

नैथला हसनपुर गांव के मोहित शर्मा की डेथ करोना होने की वजह से हो गई थी, हालांकि परिवार वाले यह कह रहे थे कि उनका लीवर भी खराब था जिसके चलते उनका स्वास्थ्य ज्यादा खराब था, बाद में उनको करोना हो गया इस गांव में पिछले 20 से 25 दिन में 22 लोगों की मौत हुई है कुछ लोगों की करोना से तो कुछ लोगों की पुरानी बीमारी की वजह से मौत हुई है.

इस गांव में पशुओं के लिए तो अस्पताल बन रहा है, लेकिन गांव वाले अभी भी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए लोग तरस रहे हैं. इस गांव में किसी भी तरीके के अस्पताल की व्यवस्था नहीं है सिर्फ झोलाछाप डॉक्टर यहाँ मौजूद हैं. एक महिला यहां के झोलाछाप डॉक्टर की दुकान(अस्पताल) पर मौजूद है. महिला को पिछले कई दिनों से बुखार आ रहा है, डॉक्टर के मुताबिक उसके प्लेटलेट्स डाउन हैं, इलाज यहीं पर किया जा रहा है. पर गांव में यह देखा गया है कि पहले लोग इलाज कराने में सावधानी नहीं बरतते हैं, देरी होती है उसके बाद जब सीरियस मामला हो जाता है तो उनको शहर ले जाया जाता है यही वजह है कि गांव में लोगों की ज्यादा मौत हो रही है.

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