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आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे: राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने खारिज की याचिका

अधिकरण के कार्यवाहक अध्यक्ष न्यायमूर्ति यूडी साल्वी की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने यह आदेश पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा इस परियोजना को वन संरक्षण कानून के तहत अंतिम स्वीकृति मिलने के बाद ही यह आदेश पारित किया था.

फाइल फोटो फाइल फोटो
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 11 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 8:44 PM IST

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने 302 किलोमीटर लंबे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए दी गई वन मंजूरी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है.

बता दें कि NGT के कार्यवाहक अध्यक्ष न्यायमूर्ति यूडी साल्वी की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि यह आदेश पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा इस परियोजना को वन संरक्षण कानून के तहत अंतिम स्वीकृति मिलने के बाद ही यह आदेश पारित किया था.

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पीठ ने आगे यह भी कहा कि ' इस परियोजना की तरफ से पेश हुये वकील ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के द्वारा वन संरक्षण अधिनियम के तहत 16 जनवरी, 2017 को दी गई अंतिम मंजूरी वाला दस्तावेज सौंप दिया है, जिसके बाद अब इस मामले में कुछ भी शेष नहीं रह गया है. '

लखनऊ निवासी निखिलेश सिंह द्वारा दायर की गई याचिका पर यह आदेश दिया गया है. याचिका में कहा गया था कि उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा बनाये जा रहे इस छह लेन वाले एक्सप्रेसवे के दायरे में आने वाले जंगली क्षेत्र के पेड़ों को अवैध तरीके से गिराया जा रहा है. बता दें कि सिंह की तरफ से यह याचिका वकील नीलम राठौड़ ने दायर की थी.

निखिलेश सिंह ने यह भी तर्क दिया कि पर्यावरण मंजूरी में शामिल इस परियोजना की मुख्य विशेषताएओं में बताया गया है कि "केवल 98.9 हेक्टेयर वन भूमि शामिल होनी थी और लगभग 27,582 पेड़ प्रिंसिपल राइट ऑफ वे (पीआरडब्ल्यू) पर ही स्थित थे"

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बता दें कि इस परियोजना की कुलअनुमानित लागत 11,526 करोड़ है.

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