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काशी से जारी होगा असली 'धर्मादेश', 25 से 27 नवंबर तक चलेगी धर्मसंसद

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण की वजह खंडित, विखंडित और नष्ट होते देव विग्रहों की रक्षा के लिए आंदोलनरत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि इस धर्मसंसद में इस बात पर भी चर्चा होगी.

काशी में धर्म संसद काशी में धर्म संसद
विवेक पाठक/वरुण शैलेश
  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 6:44 PM IST

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हाल में हुए दो दिवसीय संत सम्मेलन में राम मंदिर पर अध्यादेश या कानून और केंद्र में मोदी सरकार की वापसी का 'धर्मादेश' पारित हुआ. आम तौर पर 'धर्मादेश', धर्मसंसद से पारित होता है, लिहाजा अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में धर्मसंसद बुलाई गई है. यह धर्मसंसद 25 नवंबर से 27 नवंबर तक चलेगी जिसमें राम मंदिर समेत सनातन धर्म से संबंधित सभी विषयों पर चर्चा के बाद 'धर्मादेश' आएगा.

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पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आयोजित होने वाले तीन दिवसीय सनातन वैदिक हिंदू परम धर्म संसद के लिए अस्थायी भवन निर्माण के लिए भूमि पूजन का कार्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य प्रतिनिधि और धर्मसंसद के संयोजक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंनद के सानिध्य में काशी के सीरगोवर्धन गांव में हुआ.

aajtak.in से बातचीत में धर्मसंसद के संयोजक व शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंनद ने कहा कि वर्तमान समय में सनातन धर्म संक्रमण काल से गुजर रहा है. सनातनी परंपराओं और मूल्यों पर अनवरत प्रहार किया जा रहा है. चूंकि धर्म की रक्षा का दायित्व सर्वप्रथम संतों का है इसलिए यह धर्मसंसद बुलाई जा रही है. इस धर्मसंसद में देश के सभी 543 जिलों के 1008 साधू-संत हिस्सा लेंगे और इसके संचालन के लिए स्वयं शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद तीन दिनों तक काशी में मौजूद रहेंगे.

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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि दिल्ली में हुआ कार्यक्रम एक संत सम्मेलन था, न कि कोई धर्मसंसद जिससे धर्मादेश निकले. उन्होंने कहा कि दिल्ली में जो धर्मादेश निकला वो विरोधाभासी है, एक तरफ तो संत कह रहे हैं कि मोदी सरकार ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए संतोषजनक कार्य किए, लेकिन राम मंदिर का निर्माण नहीं हो पाया.

अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि ये कैसे हो सकता है कि आप कार्य भी करें और राम मंदिर छूट जाए? दो ही बातें हो सकती हैं या तो आपने कार्य ठीक से किया या नहीं किया. उन्होंने कहा कि काशी में आयोजित होने वाली धर्मसंसद महज राम मंदिर पर केंद्रित नहीं होगी इसमें गंगा की दुर्दशा समेत सनातन धर्म से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा होगी और जिस मुद्दे को सबसे ज्यादा वरियता दी जाएगी उसको प्राथमिकता के आधार पर सबसे ऊपर रखते हुए धर्मादेश पारित होगा. उन्होने कहा कि इस धर्मादेश की चर्चा प्रयाग में होने वाले महाकुंभ में भी होगी.

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण की वजह खंडित, विखंडित और नष्ट होते देव विग्रहों की रक्षा के लिए आंदोलनरत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि इस धर्मसंसद में इस बात पर भी चर्चा होगी. उन्होंने कहा कि देश भर के साधू संत इस धर्मसंसद को लेकर उत्साहित हैं और इससे पहले 15 नवंबर सभी राज्यों की राजधानी में एक साथ संतों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जाएगा और 16 नवंबर को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आगे रणनीति के बारे में अवगत कराएंगे.

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चूंकि सनातनी आस्था के महापर्व कुंभ से ठीक पहले यह धर्मसंसद बुलाई जा रही है, लिहाजा धर्म की नगरी काशी से निकलने वाले धर्मादेश पर सभी की निगाहें टिकी हैं.

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