
उत्तर प्रदेश की एक लोकसभा और दो विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए पांच दिसंबर को मतदान होगा. मैनपुरी लोकसभा और रामपुर विधानसभा सीट पर सपा और बीजेपी के बीच मुकाबला है तो खतौली विधानसभा सीट पर आरएलडी और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है. उपचुनाव प्रचार से अभी तक दूरी रखने वाले अखिलेश यादव मैनपुरी सीट पर घर-घर जाकर अपनी पत्नी डिंपल यादव को जिताने की अपील कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि अखिलेश यादव क्या रामपुर और खतौली सीट पर भी चुनाव प्रचार करने के लिए जाएंगे?
रामपुर सीट क्या आजम के भरोसे छोड़ रखा है
सपा के दिग्गज नेता और मुस्लिम चेहरा आजम खान को हेट स्पीच मामले में तीन साल की सजा होने के चलते रामपुर सीट पर उपचुनाव हो रहा है. आजम खान की सीट पर सपा ने आसिम रजा को उतारा है तो बीजेपी से आकाश सक्सेना मैदान में है. रामपुर सपा की परंपरागत सीट रही है, जहां बीजेपी कमल खिलाने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है. इसके बावजूद अभी तक अखिलेश यादव रामपुर सीट पर चुनाव प्रचार करने नहीं पहुंचे हैं और न ही सपा के कोई दूसरा बड़े नेता वोट मांगते हुए नजर आए हैं.
वहीं, पिछले दिनों हुए रामपुर लोकसभा उपचुनाव में भी अखिलेश यादव प्रचार करने नहीं गए थे और आजम खान के भरोसे पर छोड़ रखा था. इसका नतीजा यह रहा कि बीजेपी, रामपुर लोकसभा सीट सपा के हाथों से छीनने में कामयाब रही. रामपुर विधानसभा सीट पर अब उपचुनाव हो रहे हैं तब भी अखिलेश यादव और सपा के दूसरे बड़े नेता चुनाव प्रचार करने के लिए नहीं उतरे हैं. इस तरह से रामपुर का चुनाव सपा ने आजम खान के ऊपर छोड़ दिया है जबकि दूसरी तरफ बीजेपी के तमाम बड़े नेता रामपुर में डेरा जमाए हुए हैं और सपा के मुस्लिम नेता एक के बाद एक बीजेपी का दामन थाम रहे हैं ताकि आजम के दुर्ग में कमल खिला सके.
अखिलेश खतौली में गठबंधन धर्म निभाएंगे?
खतौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव बीजेपी के विधायक विक्रम सैनी को सजा होने के चलते हो रहा है. सपा की सहयोगी आरएलडी से मदन भैया चुनावी मैदान में है तो बीजेपी ने विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी को उतारा है. आरएलडी के प्रमुख जयंत चौधरी ने खतौली में पूरी ताकत लगा रखी है तो बीजेपी ने भी अपने नेताओं को प्रचार में उतारा दिया है. 2024 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से पश्चिमी यूपी के लिए खतौली सीट को लिट्मस टेस्ट माना जा रहा है. ऐसे में सभी के मन में है कि अखिलेश यादव क्या गठबंधन धर्म निभाते हुए अपने सहयोगी आरएलडी के कैंडिडेट मदन भैया के लिए प्रचार करने खतौली आएंगे?
रामपुर-खतौली में अखिलेश की क्यों दरकार
रामपुर और खतौली विधानसभा सीट का उपचुनाव उत्तर प्रदेश की सियासत के लिए काफी अहम मानी जा रही है. खतौली सीट बीजेपी की रही है तो रामपुर सीट पर सपा का कब्जा रहा है. 2022 के चुनाव से बाद से बीजेपी के जीत का सिलसिला जिस तरह से जारी है, बीजेपी के उस विजय रथ को खतौली और रामपुर सीट पर रोकने का अखिलेश यादव के पास बेहतर मौका साबित हो सकता है. दोनों सीटों के सियासी समीकरण भी सपा गठबंधन के पक्ष में है. रामपुर सीट पर यादव-मुस्लिम समीकरण तो खतौली सीट पर गुर्जर-जाट-मुस्लिम कैंबिनेशन मजबूत है. ऐसे में अखिलेश यादव के चुनाव प्रचार में उतरने से गठबंधन का सियासी लाभ मिल सकता है.
मैनपुरी में डिंपल को जिताने में लगे अखिलेश
अखिलेश यादव का फिलहाल फोकस मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव पर है, जहां से उनकी पत्नी डिंपल यादव चुनाव लड़ रही हैं. अखिलेश चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव के लिए चुनाव प्रचार करने के लिए आजमगढ़ भले न गए हों, लेकिन जब मामला अपनी पत्नी डिंपल यादव का आया तो चाचा शिवपाल यादव को मनाने के लिए उनके घर गए. चाचा को सिर्फ मनाया ही नहीं बल्कि मैनपुरी में डिंपल यादव को जिताने के लिए अखिलेश यादव गांव-गांव और घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि अगर आजमगढ़ और रामपुर वाली चूक किया तो नेताजी की कर्मभूमि को भी गवांने में देर नहीं लगेगी.
डिंपल के नामांकन से पहले जहां अचानक अखिलेश यादव पूर्व विधायक रामेश्वर दयाल बाल्मीकि, सतीश सिंह राठौर और विद्याराम यादव के घर पहुंच गए थे. वहीं, नामांकन के बाद शहर के पंजाबी कॉलोनी स्थित श्री एकरसानंद आश्रम पहुंचकर ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर शारदानंद सरस्वती की समाधि पर पुष्प भी अर्पित किए थे. करहल में राहुल जैन और मुलायम सिंह के करीबी पूर्व एमएलसी सुभाष यादव के आवास पर भी गए. इसके बाद अगले दिन 15 नवंबर को अखिलेश यादव बिना किसी पूर्व कार्यक्रम के कटरा समान पहुंच गए थे, जहां उन्होंने एक विद्यालय में लोगों से मुलाकात की थी. अखिलेश चाचा शिवपाल और रामपोगाल यादव के साथ मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों में जाकर जनसभाएं कर रहे हैं और नेताजी के नाम पर वोट मांग रहे हैं.
रामपुर-खतौली से दूरी बनाना मंहगा न पड़ जाए
अखिलेश यादव उपचुनाव में चुनाव प्रचार को लेकर विपक्ष सेलेक्टिव होने का सवाल खड़े कर रहा है तो रामपुर और खतौली सीट पर चुनाव प्रचार में उनके उतरने पर सस्पेंस है. अखिलेश यादव रामपुर सपा और खतौली में आरएलडी प्रत्याशी के लिए वोट मांगने जाएंगे कि नहीं यह बड़ा सवाल है, क्योंकि जून में आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में प्रचार करने नहीं पहुंचे थे. आजमगढ़ में उनके चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव चुनाव लड़ रहे हैं, जिनको कदम कदम पर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था.
आजमगढ़ से उपचुनाव में मायावती ने एक रणनीति के तहत मुस्लिम प्रत्याशी गुड्डू जमाली को उतारा था. ऐसे में उस वक्त जब आजमगढ़ के सपा समर्थक मुस्लिम नेताओं ने अखिलेश यादव के पास बकायदा संदेश भेजा था कि उनका मुस्लिम बेल्ट में दौरा करना जरूरी है तो उसे नजरअंदाज कर दिया गया था. उपचुनाव के नतीजा आया तो धर्मेंद यादव 8679 वोटों से हार चुके थे. ऐसा ही हाल रामपुर लोकसभा सीट पर हुआ और गोला गोकार्णनाथ सीट पर सपा को 90 हजार वोट मिले थे जबकि अखिलेश प्रचार करने नहीं गए थे. यही वजह है कि रामपुर विधानसभा और खतौली सीट पर अखिलेश यादव के चुनाव प्रचार में उतरने पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं.