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साथ छूटा तो अब दो-दो हाथ करने निकलेंगे अखिलेश, राजभर के इलाके से करेंगे पदयात्रा शुरू

क्रांति दिवस के मौके पर समाजवादी पार्टी पदयात्रा शुरू कर रही है, जिसका आगाज पूर्वांचल के गाजीपुर से हो रहा है. सपा की पदयात्रा उन्हीं जिलों से होकर गुजरेगी, जहां पर सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर का सियासी आधार है. राजभर से दोस्ती टूटने के बाद अखिलेश ने अब खुलकर उनके किले में सेंधमारी की रणनीति बनाई है. इस तरह अखिलेश एक तरफ राजभर को संदेश देंगे तो दूसरी तरफ बीजेपी के राष्ट्रवाद का मुकाबला करने का प्लान है.

अखिलेश यादव और ओम प्रकाश राजभर अखिलेश यादव और ओम प्रकाश राजभर
कुबूल अहमद/कुमार अभिषेक
  • नई दिल्ली/लखनऊ,
  • 02 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 1:24 PM IST

उत्तर प्रदेश की सियासी पिच पर इन दिनों कई मोर्चे से घिरे सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अब जमीनी स्तर पर संघर्ष करने का फैसला किया है. क्रांति दिवस के मौके पर 9 अगस्त को सपा 'देश बचाओ देश बनाओ समाजवादी पदयात्रा' यूपी में शुरू कर रही है. सपा अपने पदयात्रा की शुरुआत उसी सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के गाजीपुर-बलिया इलाके से कर रही है, जो अखिलेश यादव को एसी कमरे में बैठकर राजनीति करने का आरोप लगाते रहे हैं. ऐसे में राजभर के गढ़ में जमीनी खाक छानकर अखिलेश क्या अपनी एसी वाली सियासी छवि तोड़ पाएंगे? 

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अखिलेश यादव इस पदयात्रा के जरिए सपा को यूपी में बीजेपी का मुकाबला कर सकने वाली पार्टी साबित करने का संदेश देंगे. इसके साथ ही ओमप्रकाश राजभर को भी यह बताएंगे कि वो एसी कमरे में बैठकर राजनीति नहीं करते बल्कि सपा के नेता ही सड़क पर उतरकर बीजेपी की नीतियों की खामियों को उजागर करते हैं. यात्रा में सपा के सदस्‍यता अभियान, तिरंगा झंडा अभियान, नुक्‍कड़ सभा, जुलूस, संगोष्‍ठी वृक्षारोपण और पर्यावरण के प्रति जनजागरूकता के कार्यक्रम होंगे.  

राजभर के गढ़ में सपा की यात्रा

सपा की यह पदयात्रा ओम प्रकाश राजभर के प्रभाव वाले जिले से ही होकर गुजरेगी. पदयात्रा का पहला फेज 9 अगस्त को गाजीपुर जिले से शुरू होगा. अखिलेश यादव पदयात्रा को हरी झंडी दिखाने पहुंचेंगे और पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ कुछ दूर की पदयात्रा भी करेंगे. सपा की यह पदयात्रा गाजीपुर से शुरू होकर बलिया, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, भदोही होते हुए 27 अक्‍टूबर को वाराणसी में खत्‍म होगी. प्रदेश अध्‍यक्ष नरेश उत्‍तम पटेल ने बताया कि पदयात्रा जिन जिलों से गुजरेगी उनके समाजवादी पार्टी कार्यालयों, सभी विधानसभा क्षेत्रों, तहसीलों और ब्‍लॉकों में पहुंचेंगी.

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राजभर को काउंटर करने का प्लान
ओम प्रकाश राजभर की पार्टी का सियासी आधार पूर्वांचल के इन जिलों में है, जहां से सपा की पदयात्रा गुजरेंगी. ऐसे में साफ है कि अखिलेश यादव इस यात्रा के जरिए राजभर के एसी कमरे से बाहर निकने वाली बात काउंटर करना चाहते हैं. राजभर को इन्हीं जिलों में सीटें आई हैं. राजभर खुद गाजीपुर के जहूराबाद सीट से विधायक हैं और बलिया उनके गृह जिला है. इन्हीं पांचों जिले में राजभर समुदाय के वोट भी हैं. 

सपा यह पदयात्रा ऐसे समय शुरू कर रही है जब सुभासपा के साथ गठबंधन टूट चुका है. सुभासपा से अलग होने के बाद अब सपा पूर्वांचल के जिलों को किसी बैसाखी के बजाय खुद को मजबूत करने में जुट गई है ताकि 2024 के चुनाव में अपना प्रदर्शन बेहतर कर सके. 2022 के चुनाव में सपा ने राजभर के साथ मिलाकर पूर्वांचल के आजमगढ़, गाजीपुर, मऊ, जौनपुर, आंबेडकर नगर और बलिया में बेहतर प्रदर्शन किया था, लेकिन राजभर के अलग होने के बाद सपा के लिए इन इलाकों में चुनौतियां बढ़ी हैं. यही वजह है कि अखिलेश पदयात्रा का पहला चरण इसी इलाके से शुरू कर रहे हैं ताकि राजभर के संदेश देने के साथ-साथ अपने सियासी आधार को भी मजबूत रखा जाए. 

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बीजेपी के जवाब में सपा का राष्ट्रवाद
आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में बीजेपी हर घर तिरंगा अभियान जोर शोर से चला रही. यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार भी बढ़चढ़ हर घर तिरंगा अभियान में जुटी है. बीजेपी के इस अभियान के जवाब में ही सपा क्रांति दिवस के मौके पर पदयात्रा शुरू कर रही है ताकि खुद को बड़ी देशभक्त पार्टी के तौर पर पेश कर सके. सपा कार्यकर्ता पदयात्रा के दौरान तिरंगा लेकर चलेंगे तो 15 अगस्त को पार्टी के नेता अपने अपने घरों में सम्मान के साथ तिरंगा फहराएंगे. सपा ने बाकायदा निर्देश जारी किए हैं कि सभी कार्यकर्ता 9 से 15 अगस्त तक अपने  घरों में राष्ट्रीय ध्वज फहरा दें. सपा को 2024 के चुनाव के लिए मजबूत करने में जुटे अखिलेश यादव अब राष्ट्रवाद के सवाल पर खुद को उसके बड़े पैरोकार के तौर पर पेश करना चाहते हैं. 

सियासी जमीन मजबूत करने का प्लान
समाजवादी पार्टी भले ही पदयात्रा के जरिए जनजागरूकता और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दे को उठा रही है, लेकिन इसका असली मकसद सूबे में पार्टी की सियासी जमीन को एक बार फिर मजबूत करना है. अखिलेश यादव ने बीजेपी से मुकाबले के लिए अपनी रणनीति बदल दी है. भावात्मक मुद्दों पर मात खा रही सपा अब उन्‍हीं मुद्दों पर आगे बढ़ने और अपना बनाने की मुहिम में जुट गई है. अखिलेश यादव पार्टी कार्यकर्ताओं को पूर्वांचल के सड़क पर उतारकर 2024 लोकसभा चुनाव से पहले सपा को यूपी के राजनीतिक में खुद को मजबूत करने की रणनीति है. ऐसे में देखना है कि अखिलेश यादव क्या एसी कमरे से बाहर न निकलने वाली सियासी छवि को तोड़ पाएंगे? 

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